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लोजपा में फूट: चाचा-भतीजे की लड़ाई में पशुपति पारस ने मारी बाजी, लोकसभा में होगें LJP के नेता

लोजपा में फूट

लोक जनशक्ति पार्टी में फूट पड़ गई है। इस सियासी ड्रामें में जीत पशुपति पारस की हुई है। सोमवार देर शाम लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसद पशुपति पारस को एलजेपी के संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता दे दी। अब पशुपति पारस आधिकारिक तौर पर एलजेपी के ससदीय दल के नेता बन गए हैं। पशुपति पारस को एलजेपी के पांच सांसदों ने 13 जून को पार्टी के संसदीय दल का नेता चुना था। पशुपति पारस को लोकसभा में एलजेपी का नेता चुनने वालों में महबूब अली कैसर, वीणा देवी, चंदन सिंह और प्रिंस राज शामिल थे। अब लोकसभा सचिवालय ने भी इसपर आधिकारिक मुहर लगा दी है। लोकसभा सचिवालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया।

आपको बता दें कि दिवंगत नेता रामविलास पासवान के छोटे भाई पशुपति पारस के नेतृत्व में एलजेपी के छह सांसदों में से पांच सांसदों ने पार्टी से बगावत कर दी है। सभी ने चिराग पासवान को किनारे करते हुए पशुपति को अपना नेता चुना और इस संबंध में लोकसभा अध्यक्ष को एक पत्र सौंपा था, जिसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें संसदीय दल के नेता के रूप मे मान्यता दी।

पशुपति पारस ने सोमवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सराहना करते हुए उन्हें एक अच्छा नेता और विकास पुरुष बताया और इसके साथ ही पार्टी में एक बड़ी दरार उजागर हो गई, क्योंकि पारस के भतीजे चिराग पासवान जेडीयू अध्यक्ष के धुर आलोचक रहे हैं। हाजीपुर से सांसद पारस ने कहा, ‘‘मैंने पार्टी को तोड़ा नहीं, बल्कि बचाया है।’’ उन्होंने कहा कि एलजेपी के 99 प्रतिशत कार्यकर्ता पासवान के नेतृत्व में बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू के खिलाफ पार्टी के लड़ने और खराब प्रदर्शन से नाखुश हैं।

पशुपति पारस के पत्रकारों से बात करने के बाद चिराग पासवान दिल्ली स्थित उनके चाचा के आवास पर उनसे मिलने पहुंचे। पासवान के रिश्ते के भाई एवं सांसद प्रिंस राज भी इसी आवास में रहते हैं। हालांकि उन्हें 20 मिनट से ज्यादा समय तक अपनी गाड़ी में ही इंतजार करना पड़ा, जिसके बाद वह घर के अंदर जा पाए और एक घंटे से भी ज्यादा समय तक घर के अंदर रहने के बाद वहां से चले गए।