लव जिहाद को लेकर एक बार फिर देश की हवा गरम हो रही है। बीजेपी शासित राज्यों में लव जिहाद <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/devil-of-love-jihad-in-india-bareilly-to-ballabhgarh-via-delhi-16164.html"><strong><span style="color: #008000;">(Love Jihad)</span></strong></a> के खिलाफ कानून बनाने की तैयारियां हो रही हैं। महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों के मंत्री लव जिहाद को बीजेपी के दीमाग की उत्पत्ति बता रहे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलौत ने तो यहां तक कह दिया कि लव जिहाद जैसा कुछ होता ही नहीं है। गहलौत का कहना है लव जिहाद बीजेपी का बनाया हुआ शब्द है। बीजेपी अपनी राजनीति चमकाने और देश को बांटने के लिए लव जिहाद (Love Jihad) को हवा दे रही है। शादी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा है। इसके लिए कानून लाना असंवैधानिक महाराष्ट्र सरकार के मंत्री असलम शेख ने लव जिहाद (Love Jihad) जैसा कुछ भी नहीं है। महाराष्ट्र सरकार को लव जिहाद पर कानून नहीं बनाने जा रही है।
'लव जिहाद' UP-MP या असम की नहीं पूरे भारत की समस्या है। संघीय सरकार के स्तर आईपीसी की धारा 493 में संशोधन करके लव जिहाद को अपराध परिभाषित हो सकता है। तभी लव जिहाद को लक्ष्यद्वीप से लेकर लद्दाख तक काबू किया जा सकता है।@AshwiniBJP @rsprasad @myogiadityanath #INHindi pic.twitter.com/hTohrEajC3
— इंडिया नैरेटिव (@NarrativeHindi) November 22, 2020
लव जिहाद पर बयानबाजी कर रहे नेताओं को यह मालूम नहीं है कि लव जिहाद बीजेपी या किसी अन्य राजनीतिक दल या व्यक्ति का दिया हुआ शब्द नहीं बल्कि एक न्यायमूर्ति की शंका से उपजा शब्द है। लव जिहाद की शुरूआत 1990 में गुजरात में डांडिया कार्यक्रमों से हुई। लेकिन उस वक्त भी लव जिहाद शब्द की उत्पत्ति नहीं हुई थी। लगभग 18-19 साल बाद केरल में बड़ी संख्या में हिंदू और ईसाई लड़कियों के धर्म परिवर्तन के बाद मुसलमान धर्म अपनाने के सामने आए। हिंदू संगठनों में इसकी व्यापक चर्चा होने लगी।
साल 2009 में पहली बार केरल और कर्नाटक में बड़े पैमाने पर हिंदू लड़कियों के धर्म परिवर्तन के मामले सामने आए। दिसंबर सन् 2009 में केरल हाईकोर्ट के जज न्यायमूर्ति केटी शंकरन ने पहली बार अपने फैसले में लव जिहाद का जिक्र किया। हिंदु और ईसाई लड़कियों के बहुत बड़ी संख्या में धर्मान्तरण के बाद मुस्लिम युवाओं से शादी के सामने आने पर लव जिहाद की अवधारणा उभरी। 2011 आते-आते इसकी व्यापक चर्चा होने लगी। 2014 आने तक लव जिहाद भारत, पाकिस्तान, इंग्लैण्ड तक फैल गया। 2014 में भारत के हिन्दू सिख और ईसाई धार्मिक संगठनों में लव जिहाद को लेकर चिंता बढ़ी।
पिछले छह सालों में लव जिहाद संगठित अपराध की शक्ल में सामने आ गया। उत्तर प्रदेश के मंत्री वसीम रिज्वी ने और असम के स्वास्थ्य मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा ने ऐलानिया तौर पर कहा कि लव जिहाद को <a href="https://indianarrative.com/opinion/narendra-modi-can-create-history-by-scrapping-madrasas-17706.html"><strong><span style="color: #008000;">पीएफआई</span> </strong></a>जैसे देश विरोधी संगठन फैला रहे हैं। इन दोनों राज्यों के मंत्रियों ने लव जिहाद में शामिल लोगों को आतंकनिरोधी कानून के तहत सजा देने की मांग भी की।
बहरहाल, अब हालात यह हैं कि उत्तर लेकर दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक सभी राज्यों की सरकारें लव जिहाद के खिलाफ सक्रिए हो गई हैं। <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/love-jihad-stern-action-will-be-taken-against-those-who-fraudulently-marry-hindu-girls-14783.html"><strong><span style="color: #008000;">बीजेपी शासित राज्यों की सरकारें लव जिहाद पर कानून</span> </strong></a>बनाने के लिए संविधान और कानून विदों की राय ले रही हैं। लव जिहाद पर कानून बनाने लेकर भारत के कानूनविदों की राय राज्य सरकारों की राय से कुछ अलग है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और लॉ एक्सपर्ट विकास गुप्ता का कहना है 'लव जिहाद' भारत में खतरनाक तौर पर उभर रहा है। इसपर रोक लगाना जरूरी है। लेकिन रोक लगाने के लिए अलग से कानून बनाने के बजाए मौजूदा IPC में संशोधन करके 10 साल की सजा का प्रावधान किया जाए।@VikasGupta2106 @rsprasad #INHindi pic.twitter.com/0TPR0vzomj
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जाने-माने वकील और कानूनविद अश्विनी उपाध्याय और सुप्रीम कोर्ट के वकील विकास गुप्ता कहना है कि लव जिहाद शब्द अभी आया है, लेकिन यह समस्या आजादी के पहले से है। इसलिए आईपीसी बनाते समय ही धारा 493 बनाई गई थी। अगर इसी धारा में संशोधन कर लव जिहाद को परिभाषित कर अपराध और सजा का प्रावधान कर दिया जाए तो लव जिहाद पर नियंत्रण संभव है। अश्विनी उपाध्याय का यह भी कहना है कि लव जिहाद पर नियंत्रण राज्य के स्तर से नहीं बल्कि संघीय सरकार के स्तर से लगना चाहिए। तभी लक्ष्यद्वीप से लेकर लद्दाख तक लव जिहाद पर प्रभावी नियंत्रण हो सकेगा।
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