शिव सेना और एनसीपी में तकरार तो सचिन वझे-अनिल देशमुख मामले को लेकर है, लेकिन दोनों एक दूसरे से अलग होने का कोई दूसरा बहाना ढूंढ रही हैं। एनसीपी को यह बहाना मिल भी गया है। यह बहाना है राज्य में लॉक डाउन लगाना। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में लॉक डाउन लगाने और उससे पैदा होने वाली परिस्थितियों से निपटने की रणनीति (रोड मैप) बनाने के निर्देश दे दिए हैं। वहीं सरकार की बड़ी सहयोगी पार्टी ने कहा है कि महाराष्ट्र में लॉक डाउन लगाने की कोई जरूरत नहीं है।
मुख्यमंत्री के लॉकडाउन जैसी पाबंदियां लगाने के प्लान पर एनसीपी ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। उद्धव सरकार में मंत्री और सीनियर एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा, 'हम लॉकडाउन जैसा जोखिम लेने की स्थिति में नहीं हैं। हमने मुख्यमंत्री से अन्य विकल्पों पर विचार करने को कहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए उन्होंने अधिकारियों से लॉकडाउन के लिए तैयार रहने को कहा है, मगर इसका मतलब यह नहीं है कि लॉकडाउन टाला नहीं जा सकता। अगर लोग नियम मानते हैं, तो इससे बचा जा सकता है।'
उधर बीजेपी ने भी लॉकडाउन लगाने का विरोध करने का निर्णय लिया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का कहना है कि राज्य सरकार आम जनता को एक रुपये का भी पैकेज नहीं दे रही है, लेकिन कोरोना को नियंत्रण के नाम पर लॉकडाउन लगाना चाहती है, तो हम इसका कड़ा विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि मातोश्री में बैठकर लॉकडाउन से आम लोगों को होने वाली परेशानी कैसे पता चलेगी?
ध्यान रहे, रविवार को सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में टास्क फोर्स की अहम बैठक हुई थी। टास्क फोर्स ने राज्य में लॉक डाउन की सिफारिश की थी। इसी के बाद सीम उद्धव ठाकरे ने राज्य में दोबारा लॉकडाउन लगाने के संकेत दिए थे। उन्होंने मंत्रालय सहित सरकारी कार्यालयों में आम लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने का निर्देश दिया और 50 फीसदी कर्मचारी बुलाने का सख्ती से पालन नहीं करने पर निजी कार्यालयों और प्रतिष्ठानों को लॉकडाउन के लिए तैयार रहने को कहा।
टास्क फोर्स के डॉक्टरों ने यह भी बताया कि संक्रमण में वृद्धि होने से मौतों की संख्या में भी वृद्धि हो सकती है। विशेष रूप से समय पर टेस्ट न करवाने और अस्पताल में भर्ती होने में देरी और आइसोलेशन और क्वारंटीन के नियमों का पालन न करने पर मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।