पश्चिम बंगाल में विधनसभा चुनाव के दौरान लगातार हिंसा होती रही। चुनाव के नतीजे आ जाने के बाद भी हिंसा खत्म नहीं हुई, यहां तक की और बढ़ गई। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि बंगाल में चुनाव के बाद से हिंसा की वजह से एक लाख से भी ज्यादा लोगों ने पलायन किया है। अब एक और रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह कहा गया है कि बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार बनने के बाद हिंदू समाज के BJP समर्थकों को निशाना बनाया जा रहा है। यह रिपोर्ट गृह मंत्री को सौंपी गई है।
दरअसल, ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स की एक रिपोर्ट (GIA Report) में कहा गया है कि बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा में हिंदू समाज और बीजेपी को समर्थन या वोट देने वाली महिलाओं के साथ क्रूरता हुई है। रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश और एनआईए जांच के तहत एसआईटी जांच की सिफारिश की है। रिपोर्ट 'खेला इन बंगाल 2021: शॉकिंग ग्राउंड स्टोरीज' में कहा गया है कि बंगाल में हिंसा को केवल 'राजनीतिक हिंसा' के रूप में देखना हिंदू समाज के कमजोर वर्गों के साथ वाली भयावहता को कम करना है। इसमें वो लोग शामिल हैं जिन्होंने बीजेपी को समर्थन या वोट दिया था।
हिंसा के लिए राज्य मशीनरी का किया गया इस्तेमाल
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चुनाव जीतने और सत्ता बनाए रखने के लिए टीएमसी का हिंसा का माडल चलन में था। राजनीतिक प्रतिद्वंदवी के खिलाफ हिंसा के लिए राज्य मशीनरी का इस्तेमाल किया गया था। इस तरह इस हिंसा में नरसंहार के निशान मिले हैं। महिलाओं के साथ 'बलात्कार किया गया, उन्हें पीटा गया और सबसे भयानक तरीकों से उनका उत्पीड़न किया गया, सस्ते बंमों का इस्तेमाल किया गया, पुरुषों की हत्या की गई और दुकानों और राशन कार्डों को लूट लिया गया।
गृह राज्य मंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट
रिपोर्ट में कहा गया है कि, पीड़ित मुख्य रूप से हिंदू समाज के बहुत ही हाशिए पर रहने वाले वर्गों से संबंधित हैं जो भाजपा समर्थक या मतदाता हैं। नई दिल्ली के ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल्स समूह (जीआईए) ने कहा कि उन्होंने पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा के 20 पीड़ितों का साक्षात्कार लिया। ये ज़ूम और गूगल मीट जैसे प्लेटफार्मों साथ ही फोन पर ऑनलाइन आयोजित किए गए। जीआईए ने यह रिपोर्ट गृह राज्य मंत्री, जी किशन रेड्डी को दी गई है।