PM Modi के Mission Kashmir की सफलता देख पाकिस्तानी सरकार और पाकिस्तानी मीडिया की हालत खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे जैसी हो रही है।प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के लिए कतार लगा कर खड़े जम्मू-कश्मीर के चार मुख्यमंत्रियों सहित दर्जन भर से ज्यादा नेताओं की फोटो देख कर पाकिस्तान की मीडिया भरोसा ही नहीं कर पा रही हैकि कश्मीर की राजनीति के प्रमुख दलों के प्रमुख नेता दिल्ली में हैं और प्रधानमंत्री मोदी से 3 घण्टे लम्बी बातचीत के बाद बाहर आए हैं।
मीटिंग से बाहर आने के बाद अधिकांश नेताओं ने यही कहा कि कश्मीर को स्टेटहुड दिए जाने, चुनाव कराने और कश्मीर में विकास कार्यो को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। मीटिंग से बाहर आने के बाद मुफ्ती महबूबा का रुख भी पहले से काफी अलग था। उन्होंने अलग पहचान बनाए रखने के लिए अपने एजेंडे की कुछ बातों को मीडिया के सामने दोहराया लेकिन इस बार उनकी आवाज बदली हुई थी। कभी उन्हीं की पार्टी का हिस्स मंजूर हुसैन ने तो मीटिंग के बीच में ही महबूबा मुफ्ती के तर्क को धराशाई कर दिया था। फारूख अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने भी कुछ रिजर्वेशन के साथ वही दोहराया तो गुलाम नबी आजाद ने कहा। इस मीटिंग में वैसे तो सभी का रवैया सकारात्मक था, लेकिन सबसे सकारात्मक और सहयोगात्मक रवैया गुलाम नबी आजाद का रहा।
पाकिस्तानी मीडिया में से अधिकांश ने खिसियाहट निकालने की कोशिश की है। किसी मशाल हुसैन का जिक्र करते हुए इस अतिमहत्वपूर्ण बैठक को कमतर करने दिखाने की कोशिश की है, मगर उनकी ये कोशिश एक फोटो ने खुद ही बेकार कर दी जिसमें वो पीएम मोदी के साथ कश्मीर के नेता बैठे दिखाई दे रहे हैं। सबके चेहरों पर सकारात्मकता दिखाई दे रही है।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ही एक ऐसा अखबार दिखाई दिया है जिसने मीटिंग को जस का तस दिखाया है। इसके अलावा डॉन, जंग डॉट कॉम, द न्यूज और पाकिस्तान टुडे ऐसे मीडिया हैं जिन्होंने पीएम मोदी के मिशन कश्मीर के तहत कश्मीरी नेताओं के साथ मीटिंग को ड्रामा बताने की कोशिश की है। एक खास बात यह कि ट्रिब्यून एक्सप्रेस के अलावा बाकी सारी मीडिया में जो स्टोरी प्रकाशित हुई है उसके शब्द सभी जगह लगभग एक जैसे हैं। ऐसा लग रहा है कि एक प्रेसनोट तैयार करके सभी जगह भेजा गया और सबने उसको जस का तस छाप दिया है। मगर फोटो में वो लोग कुछ कर नहीं सकते थे इसलिए कश्मीरी नेताओं के संग पीएम मोदी की मीटिंग की असलीयत को छुपा नहीं सके।