अभी तक आंदोलनकारियों की मान-मनौवल करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने किसानोे के साथ मेगा डायलॉग के दौरान कड़े तेवर दिखाए। मोदी ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि सरकार किसी संशोधन पर वार्ता के लिए तैयार है लेकिन कानून किसी भी कीमत पर वापस नहीं होंगे। मोदी की भाषा में आज सख्त और किसानों के नाम पर राजनीति करने वालों के लिए चुनौती भी थी। मोदी ने कहा कि लोग पिकनिक मना रहे हैं। बंगाल और केरल से आकर लोग यहां के किसानों को बरगला रहे हैं। मोदी ने कहा कि सरकार सब कुछ देख रही है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री मोदी की भाषा में पहली बार आंदोलनकारियों के लिए चेतावनी भरे शब्द थे। मोदी ने कहा कि जो लोग दिल्ली का बॉर्डर जाम करके बैठे हैं ये वही लोग हैं जो लंबे समय तक स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट पर पालथी मार कर बैठे थे। मोदी ने कहा किसानों के आंदोलन के नाम पर दिल्ली को बंधक बनाकर बैठे हैं। दिल्ली के लोगों को परेशानी हो रही है। मोदी के संबोधन को समझने वालों का कहना है मोदी का एक-एक शब्द बहुत गंभीर था। मोदी की आज की भाषा काफी सख्त संदेश देने वाली है।
मोदी ने कहा कि जो लोग पहले आए वो किसान थे। उनकी आशंका थी एमएसपी खत्म होने वाली है। लेकिन आंदोलन के नाम पर किसानों की मांगों की आड़ में उन लोगों को जेल से छुड़ाने की मांग हो रही है जो हिंसा के गंभीर आरोपों में जेल में बंद हैं। किसानों की मांगें पीछे रह गई हैं। मोदी ने कहा कि बात होनी चाहिए। समाधान के लिए सरकार हमेशा तैयार है। मोदी ने कहा कि वो अपना घोर विरोध करने वालों से भी बात करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 30 दिनों में किसी ने कुछ भी कहा है हम सारी बातों को भुलाकर आंदोलनकारियों से बात करने को तैयार हैं, लेकिन बात तर्कों के आधार पर होनी चाहिए।
इससे पहले मोदी ने कहा कि किसानों को किसी के भ्रम जाल मे नहीं फंसना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के आस-पास जहां भी चुनाव हुए हैं उनके परिणाम बताते हैं कि देश का किसान नए कानूनों के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा जिन राजनीतिक दलों ने न कानूनों का लिख कर समर्थन किया है उनकी भाषा भी बदल गयी है। दुनिया के कई देशों मे उनके संबंध हैं। मोदी ने आंदोलन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष आंदोलन के नाम पर इवेंट मैनेजमेंट कर रहा है। मोदी ने कहा कि वो किसानों के विश्वास पर आंच नहीं आने देंगे। लेकिन कुछ लोग किसानों के नाम पर देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं।
किसानों के साथ मेगा डायलॉग के दौरान पीएम मोदी ने नए किसान कानूनों को लेकर फैलाए जा रहे भ्रमों को एक-एक कर दूर किया। खास तौर पर कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिग पर मोदी ने कहा कि कॉन्ट्रेक्ट फसल का है किसान की जमीन का नहीं है। किसान जब चाहे कॉन्ट्रेक्ट खत्म कर सकता है। किसान को कोई पेनाल्टी नहीं देनी पड़ेगी। लेकिन कॉन्ट्रेक्ट करने वाला कॉन्ट्रेक्ट से बाहर नहीं आ सकता। कान्ट्रेक्टर किसान की फसल किसान के खेत से लेकर जाएगा। किसी भी आपदा के कारण अगर फसल को नुकसान पहुंचता है तो उसकी भरपाई कॉन्ट्रेक्टर करेगा। इसके अलावा कॉन्ट्रेक्टर को फसल का दाम तीन दिन के भीतर देना पड़ेगा। अगर कॉन्ट्रेक्टर ऐसा नहीं करता है तो उसके खिलाफ किसान कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं।
मोदी ने कहा सरकार ने किसानों का हित देखकर कानून बनाएं हैं। इसके बावजूद हम कह रहे हैं कि अगर आपको किसी संशोधन की जरूरत है तो आइए तर्क के साथ उसे रखिए। सरकार उसे संशोधित करेगी।.