रोपड़ से वापस बांदा जेल लाए गए माफिया मुख्तार अंसारी के दुर्दिन शुरू हो गए हैं। एक तरफ उसका दूसरा कोरोना टेस्ट भी पॉजिटिव पाया गया है तो वहीं हाईकोर्ट ने तीन गंभीर मामलों की सुनावाई की सरकारी याचिका को स्वीकार कर लिया है। इन तीनों मामलों को निचली अदालतों ने साक्ष्यों के अभाव में खत्म कर दिया था। इसमें एक मामला लखनऊ के थाना आलमबाग में दर्ज तत्कालीन जेल अधीक्षक एसके अवस्थी को धमकी का मामला भी था।
हाईकोर्ट की लखनऊ खण्डपीठ ने तीनों मामलों में मुख्तार अंसारी को नोटिस जारी करते हुए निचली अदालत से पत्रावलियां तलब कर लीं हैं। इस बारे में अभियोजन पक्ष का कहना है कि पर्याप्त सबूत और गवाब होने के बावजूद निचली अदालत में मुकदमों में आरोपी बरी कर दिया। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि फाईलों में दर्ज सबूतों को हाईकोर्ट तो दरकिनार नहीं कर सकता। ऐसे में मुख्तार को सजा होनी तय है।
हाईकोर्ट ने विशेष अदालत से सम्बंधित तीनों मामलों की पत्रावलियां भी तलब की है। न्यायालय ने मामलों की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद नियत किया है।यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए पारित किया।
राज्य सरकार की ओर से अपीलें दायर कर कहा गया था कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ एक गवाह ने अपनी मुख्य परीक्षा में उसके खिलाफ सजा के लिए पर्याप्त गवाही दी थी किन्तु विचारण अदालत ने उक्त गवाही को न मानकर मुख्तार अंसारी को बरी कर गलती की है। वहीं गैंगस्टर मामले में कहा कि पत्रावलियों पर उपलब्ध साक्ष्यों को विचारण अदालत ने ठीक से परीक्षित नहीं किया और उसे बरी करके गलती की। न्यायालय ने प्रथम दृष्टया सुनवाई करके मुख्तार अंसारी को नोटिस जारी कर दिया।
दरअसल एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने जेलर से गाली गलौज व जानमाल की धमकी देने और तत्कालीन अपर महानिरीक्षक कारागार को धमकी देने के दूसरे मामले में साक्ष्य के अभाव में मुख्तार अंसारी को गत दिसम्बर में बरी कर दिया था। विशेष अदालत ने थाना हजरतगंज से संबंधित गैंगेस्टर के भी एक मामले में भी साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त मुख्तार अंसारी को बरी करने का आदेश दिया था। अभियोजन के मुताबिक 28 अप्रैल, 2003 को लखनऊ के जेलर एसके अवस्थी ने थाना आलमबाग में मुख्तार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। जिसके अनुसार जेल में मुख्तार अंसारी से मिलने आए लोगों की तलाशी लेने का आदेश देने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी। साथ ही उनके साथ गाली गलौज करते हुए मुख्तार ने उन पर पिस्तौल भी तान दी थी। जबकि एक मार्च, 1999 को तत्कालीन अपर महानिरीक्षक कारागार एसपी सिंह पुंढीर ने थाना कृष्णानगर में दर्ज कराई थी। विशेष अदालत में मुख्तार अंसारी के इन दोनों मामलों के अलावा थाना हजरगंज से संबधित गैंगेस्टर एक्ट के मुकदमे की भी सुनवाई हो रही थी।