मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर बम से पैदा हुई सुनामी अभी थमी नहीं है। शनिवार देर रात मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे एनसीपी और कांग्रेस के नेता इस सुनामी से होने वाले नुकसान और उसकी भरपाई के उपायों पर विचार करते रहे। इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है शाम को ईमेल मिला था। लेकिन यह न तो परमबीर सिंह का ऑफिशियल मेल आईडी से था और न इस पर कोई हस्ताक्षर था। इसलिए इस मेल की सत्यता और प्रमाणिकता के लिए गृह मंत्रालय परमबीर सिंह से संपर्क कर रहा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के ऑफिस से दी गई इस जानकारी का सीधा सा मतलब था कि सरकार परमबीर सिंह पर उसी अनिल देशमुख के जरिए दबाव बनाने की कोशिश कर रही थी जिस पर परमबीर सिंह ने वसूली के आरोप लगाए हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय से मामले को ठण्डे बस्ते में डालने और दबाव बनाने की यह कोशिश ज्याद देर कामयाब न हो सकी। कुछ ही देर बाद परमबीर सिंह ने फिर कहा कि वो मुख्यमंत्री को दोबारा चिट्ठी भेज रहे हैं और इस बार हस्ताक्षर भी होंगे। परमबीर सिंह के इस धमकी भरे जवाब पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यालय ने चुप्पी साध ली। इसी बीच सचिन वझे को सौ करोड़ रुपये महीना वसूली करके देने वाले मामले में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नबीस की पत्नी अमृता फड़नबीस की एंट्री हो चुकी है।
अमृता फड़नबीस ने हैश टैग सचिन वाझे और हैश टैग 100 सीआर कर ट्वीट किया है कि ‘बात निकली है तो बहुत दूर तलक जाएगी, बादशाह को बचाने मे कितनों की जान जाएगी।’
इससे पहले अनिल देशमुख ने कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप झूठे हैं। यह उन्हें बदनाम करने की साजिश है। सचिन वझे के गिरफ्तार होने के बाद कई दिनों तक परमबीर सिंह चुप क्यों थे, उन्होंने पहले क्यों बयान नहीं दिया। परमबीर सिंह को आरोपों को साबित करना होगा। वह उनके खिलाफ मानहानि का केस कर रहे हैं। विस्फोटक केस और मनसुख हिरेन की मौत की जांच को भटकाने के लिए परबीर सिंह ने साजिश रची है। सीएम उद्धव ठाकरे को उनके आरोपों पर एक निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए।
परमबीर सिंह ने अपनी चिट्ठी में अनिल देशमुख पर कई बड़े आरोप लगाए हैं। परमबीर सिंह का दावा है कि सस्पेंड पुलिसकर्मी सचिन वझे को देशमुख ने हर महीने मुंबई के बीयर बार और रेस्तरां से 100करोड़ की वसूली करने का टॉरगेट दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि वझे को कई बार देशमुख ने अपने बंगले पर बुलाया था। वझे को देशमुख ने राजनीतिक संरक्षण दिया हुआ था।
परमबीर सिंह को पुलिस कमिश्नर पद से हटाकर कमांडेंट जनरल ऑफ होम गार्ड्स (महाराष्ट्र) के रूप में तबादला किया गया है। एंटीलिया केस और स्कॉर्पियो कार मालिक मनसुख हिरेन की मौत के बाद यह फैसला लिया गया था। दोनों ही मामलों की जांच अब एनआईए को सौंप दी गई है और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट सचिन वझे इस समय एनआईए की हिरासत में है।
पद से हटाए जाने के बाद ही परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र सीएम उद्धव ठाकरे, अडिशनल चीफ सेक्रेटरी और गर्वनर के प्रधान सचिव को पत्र भेजा था। अपने पत्र में परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर पुलिस अधिकारियों को अपने घर बुलाने और जांच दूसरी दिशा में मोड़ने को कहा था।
लेटर कांड के बाद विपक्षी दल बीजेपी उद्धव सरकार पर हमलावर हो गई है। बीजेपी ने अनिल देशमुख को पद से हटाते हुए उनके नार्को टेस्ट की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस समेत कई बीजेपी नेताओं ने अनिल देशमुख पर निशाना साधा है। फडणवीस का कहना है कि देशमुख को पद से हटाते हुए सीएम उद्धव ठाकरे पूरे मामले की निष्पक्ष जांच करवाएं।