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Coronavirus के बड़ों से छोटे बच्चों में शिफ्ट होने का बढ़ा खतरा, दुनिया के लिए खतरे की घंटी- देखिए क्या कहती है नई Study

तीसरी लहर में Coronavirus के बड़ों से छोटे बच्चों में शिफ्ट होने का खतरा

कोरोना महामारी की दूसरी लहर लगभग खत्म हो गई है अब तीसरी लहर को लेकर पहले से ही कहा जा चुका है कि यह जल्द ही आएगी। इसके साथ ही शुरुआत में यह कहा गया था कि तीसरी लहर सबसे ज्यादा बच्चों में संक्रमण फैलाएगी लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे खारिज कर दिया था। अब धीरे-धीरे बच्चों के संक्रमण होने की खबरे तेज होने लगी हैं जिसके बाद बड़ों से बच्चों शिफ्ट होने का खतरा बढ़ गया है। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) वर्षों में अन्य सामान्य जुकाम वाले कोरोना वायरसों की तरह व्यवहार कर सकता है। जो छोटो बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगा।

गुरुवार को प्रकाशित एक मॉडलिंग स्टडी में शामिल यूएस-नॉर्वेजियन टीम ने देखा कि चूंकि COVID-19 की गंभीरता आमतौर पर बच्चों में कम होती है, इसलिए इस बीमारी से खतरा कम होने की उम्मीद है। इस वायरस के नए-नए वैरियंट सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन करने वाले देशों में संक्रमण की रफ्तार को तेज कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका की लोक स्वास्थ्य एजेंसी ने चेतावनी दी है कि अगले चार हफ्तों में देश में कोविड-19 के मरीजों के अस्पतालों में भर्ती होने और उनकी मौतें होने की संख्या में खासी वृद्धि हो सकती है।

नॉर्वे में ओस्लो विश्वविद्यालय के ओटार ब्योर्नस्टेड ने कहा है कि कोविड-19 के संक्रमण के बाद तेजी से गंभीर परिणामों और उम्र के साथ घातक होने का स्प्ष्ट संकेत मिला है। उन्होंने कहा कि, फिर भी हमारे मॉडलिंग परिणाम बताते हैं कि संक्रमण का खतरा बड़ों से बच्चों की तरफ शिफ्ट होगा। इसकी वजह वैक्सीन है, क्योंकि वयस्क आबादी ने या तो वैक्सीनेशन करवाकर या फिर वायरस के संपर्क में आकर खुद के अंदर इम्यून को विकसित कर लिया है।

साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि इस तरह के बदलाव अन्य कोरोना वायरसेज और इन्फ्लूएंजा वायरस में देखे गए हैं क्योंकि वे भी ऐसे ही तेजी से फैले और फिर बाद में पूरी दुनिया में थम गए। ब्योर्नस्टेड ने कहा कि श्वसन रोगों के ऐतिहासिक रिकॉर्ड से संकेत मिलता है कि वर्जिन एपडेमिक के दौरान उम्र घटने के साथ संक्रमण बढ़ने का पैटर्न स्थानीय संक्रमण से अलग हो सकते हैं।

इसके साथ ही उन्होंने रूसी फ्लू के पैटर्न का उदाहरण देते हुए कहा कि, जीनोमिक वर्क से पता चलता है कि 1889-1890 महामारी रूप से 70 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों को प्रभावित किया था। इसे फैलाने वाले HCoV-OC43 वायरस को कभी-कभी एशियाई या रूसी फ्लू के रूप में भी जाना जाता है। इस दौरान करीब 10 लाख लोगों की मौत हुई थी, जो अब एक स्थानीय, हल्का और बार-बार संक्रमित करने वाला सर्दी का आम वायरस बन गया है। यह ज्यादातर 7-12 महीने की उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि, अगर वयस्कों में SARS-CoV-2 के फिर से संक्रमण के लिए प्रतिरक्षा कम हो जाती है, तो बीमारी का बोझ अधिक रह सकता है। अगर वयस्क आबादी पिछले बार वायरस के संपर्क में आई है तो इससे बीमारी की गंभीरता कम हो जाएगी।