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जमात-ए-इस्लामी Terror Tunding Case: NIA का J&K में छापेमारी जारी

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा सोमवार को ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक ग़ैर-क़ानूनी संगठन जमात-ए-इस्लामी,जम्मू-कश्मीर द्वारा आतंकी फंडिंग मामले में जम्मू-कश्मीर में तलाशी जारी।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा सोमवार को ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एक ग़ैर-क़ानूनी संगठन जमात-ए-इस्लामी,जम्मू-कश्मीर द्वारा आतंकी फंडिंग मामले में जम्मू-कश्मीर में तलाशी जारी है।

इससे पहले 11 मई को केंद्रीय आतंकवाद रोधी एजेंसी ने जम्मू-कश्मीर के बडगाम और बारामूला ज़िलों में तलाशी ली थी। एनआईए ने 4 मई को प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी की अलगाववादी गतिविधियों से संबंधित मामले में जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग पर अपनी निरंतर कार्रवाई के तहत जम्मू-कश्मीर में 16 स्थानों पर तलाशी ली।

जमात-ए-इस्लामी को 28 फ़रवरी, 2019 को यूए (पी) अधिनियम के तहत एक ग़ैर-क़ानूनी संगठन घोषित किए जाने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग गतिविधियों को अंजाम देते हुए पाया गया है।

एनआईए ने चार आरोपियों के ख़िलाफ़ 12 मई, 2022 को विशेष अदालत, पटियाला हाउस, नई दिल्ली में मामले में आरोप पत्र दायर किया था। इसने पहले 5 फ़रवरी, 2021 को इस मामले में एक मुकदमा दर्ज किया था।

एनआईए ने 4 मई को जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) के सदस्यों और समर्थकों के 16 ठिकानों पर तलाशी ली थी, जिनमें 11 कश्मीर घाटी के बारामूला ज़िले में और शेष पांच जम्मू क्षेत्र के किश्तवाड़ ज़िले में स्थित हैं। तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक सामग्री और डिजिटल उपकरण ज़ब्त किए गए और इस मामले में और सुराग को लेकर जांच की जा रही है।

एनआईए की अब तक की जांच से पता चला है कि जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) के सदस्य दान के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने जैसे कथित धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए घरेलू और विदेश से धन एकत्र कर रहे थे।

इसके बजाय, फ़ंड का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर में हिंसक और अलगाववादी गतिविधियों के लिए किया जा रहा था। जमात-ए-इस्लामी कैडरों के सुसंगठित नेटवर्क के माध्यम से हिज़्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) जैसे अन्य प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के लिए भी भेजा जा रहा था।

इसके अलावा, जांच के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के प्रभावशाली युवाओं को प्रेरित करने और जम्मू-कश्मीर में हिंसक, विघटनकारी और अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए नये-नये सदस्यों (रुकुन) की भर्ती करने में भी लगी हुई थी।

एनआईए की पिछली जांच में पता चला था कि गिरफ़्तार किये गये चार आरोपियों में से एक जावेद अहमद लोन जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) के नाम पर चंदा मांग रहा था और बैठकें आयोजित कर रहा था। वह इन सभाओं में भारत-विरोधी नफ़रती भाषण देता था और लोगों को चंदा देने के लिए उकसाता था। आदिल अहमद लोन के साथ उसने अन्य दो अभियुक्तों मंज़ूर अहमद डार और रमीज़ अहमद कोंडू से ग़लत इरादे से हथियार और गोला-बारूद भी हासिल किया था।