देश में कोरोना की दूसरी लहर संकट बनकर खड़ा है। हर तरफ कोरोना मरीजो की सुनामी आयी हुई है। देश के अस्पतालों में मरोजों के लिए वेंटिलेटर और ऑक्सिजन की कमी पड़ गई है। जरूरतमंदों को समय पर मेडिकल ऑक्सिजन नहीं मिल रहा। कुछ ऐसे भी लोग होंगे जो डर के मारे और एहतियात की वजह से पहले से ही ऑक्सिजन सिलिंडर की व्यवस्था करने में लगे होंगे कि क्या पता कब जरूरत पड़ जाए। ऐसे में देश के दिग्गज डॉक्टरों ने कोरोना को लेकर बहुत ही जरूरी सुझाव और टिप्स दिए हैं जो आपके मन में पैदा हुए डर को खत्म कर देंगे।
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि कोरोनावायरस को लेकर देश भर में पैनिक (घबड़ाहट) पैदा करने की जरूरत नहीं है। कोरोनावायरस से जुड़ी एक ऑनलाइन कान्फ्रेंस में रविवार को गुलेरिया ने ये बात कही। उनके साथ मेदांता के चेयरमैन डॉ। नरेश त्रेहन, एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ। नवीत विग और स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ। सुनील कुमार भी इस परिचर्चा में शामिल थे। AIIMS निदेशक डॉ। रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश में 10-15 फीसदी लोग ही हैं, जिन्हें गंभीर संक्रमण होता है और जिन्हें रेमडेसिविर, ऑक्सीजन या प्लाज्मा की जरूरत पड़ सकती है।
डॉ. गुलेरिया ने कहा, अगर हम कोरोना की मौजूदा स्थिति की बात करें तो जनता में घबराहट का आलम है,लोग अपने घरों में इंजेक्शन रख रहे हैं, रेमडेसिविर इंजेक्शन जमा कर रहे हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर जुटा रहे हैं। इस कारण आपूर्ति का संकट पैदा हो गया है और एक अनावश्यक अफरा-तफरी का माहौल पैदा किया जा रहा है। उन्होंने कहा, कोविड-19 का संक्रमण एक सामान्य इन्फेक्शन है। 85 से 90 फीसदी लोगों में बुखार, जुकाम, शरीर में दर्द, खांसी जैसे मामूली लक्षण सामने आते हैं। ऐसे मामलों में रेमडेसेविर या अन्य लंबी चौड़ी तादाद में दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती। आप ऐसे सामान्य संक्रमण के लिए दवाएं ले सकते हैं या घरेलू औषधि और योग के जरिये अपना इलाज कर सकते हैं।
डॉ. गुलेरिया ने ऑक्सिजन को लेकर बहुत ही जरूरी सुझाव और टिप्स दिए हैं, उन्होंने कहा ऑक्सिजन लेवल घट रहा हो तो अनुलोम-विलोम, प्राणायाम करें, फायदा होगा। योगगुरु और योगा टीचर यह कहते आए हैं लेकिन अब डॉक्टर नरेश त्रेहन जैसे दिग्गज ने भी इस पर मुहर लगाई है। डॉक्टर त्रेहन ने कहा कि आरटी-पीसीआर टेस्ट में पॉजिटिव आते ही लोकल डॉक्टर से संपर्क करें। इससे 90% से ज्यादा लोग घर पर ही ठीक हो जाएंगे। अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मरीजों को बहुत फायदा होता है क्योंकि लंबी सांस लेकर रोकने से फेफड़े में ऑक्सिजन की ज्यादा मात्रा पहुंचती है। इससे फेफड़ा मजबूत होता है।
वहीं मेदांता चेयरमैन डॉ। त्रेहन ने कहा कि 90 फीसदी कोरोना के मरीज घर पर ही ठीक हो सकते हैं, अगर उन्हें समय पर सही दवा मुहैया कराई जाए। त्रेहन ने कहा, जैसे ही आपकी RT-PCR रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाए, मेरी सलाह है कि आप अपने स्थानीय डॉक्टर से संपर्क करें। सभी डॉक्टर कोरोना का प्रोटोकॉल जानते हैं और उसके अनुसार उपचार शुरू कर सकते हैं।