कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी बहुत बड़ी परेशानी में फंसते नजर आ रहे हैं। गुरुवार को संसद में राहुल गांधी ने सदन ही अवमानना ही नहीं बल्कि विशेषाधिकार हनन भी की है। इस आशय का आरोप लगाते हुए बिहार से बीजेपी के सांसद डॉक्टर संजय जायसवाल ने राहुल गांधी के खिलाफ सदन की अवमानना और विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। ऐसा माना जा रहा है कि डॉक्टर संजय जायसवाल के नोटिस पर आसंदी संज्ञान ले सकती है। अगर ऐसा होता है तो राहुल गांधी को अपने कथनी और करनी के लिए सदन में आकर माफी मांगनी पड़ेगी अन्यथा लोक सभा अध्यक्ष उनके खिलाफ कार्रवाई का आदेश दे सकते हैं।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना का हवाला देते हुए बेतिया सांसद डॉ. जायसवाल ने 11 फरवरी को राहुल गांधी द्वारा सदन में की गई टिप्पणी पर विरोध जताते हुए उनके खिलाफ लोकसभा की अवमानना और विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया है।
अध्यक्ष को दिए गए अपने नोटिस में डॉ. जायसवाल ने कहा कि दिनांक 11 फरवरी को आम बजट पर अभिभाषण के दौरान राहुल गांधी, अपने चिर-परिचित अंदाज में विषय से परे हट कर बिना किसी तथ्य या डक्यूमेंट पेश किए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गरिमा पर आघात करने का लगातार प्रयास किया। ओछी बयानबाजी की सारी हदों को पार करते हुए यह तक भूल गए कि वे लोकसभा में बोल रहे हैं, जहां अध्यक्ष के दिशा-निर्देश व संविधान के कुछ प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार ही किसी विषय को पटल पर रखा जाता है।
संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कृषि कानूनों पर राहुल गाधी द्वारा फैलाये गई अफवाहों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए डॉ. जायसवाल ने इसे बचकाना और लापरवाही भरा कृत्य करार दिया।उन्होंने कहा कि अपने भाषण के बीच में ही राहुल ने अपनी पार्टी के सांसदों को मृत किसानों के लिए मौन रखने का आदेश दिया, जिससे सदन में एक विकट स्थिति उत्पन्न हो गई।
सदन में इस तरह का सामूहिक शोक अध्यक्ष के निर्देश, सलाह और मार्गदर्शन में करने का ही नियम है। इससे साफ है कि राहुल ने सदन के नियमों की अवहेलना और अपमान किया है, जो नियमों के मुताबिक 'सदन की अवमानना' और दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने इन्हीं विषयों के आलोक में नोटिस देते हुए इस पूरे मामले को लोकसभा के नियम 223 के तहत, इसे विशेषाधिकार हनन और सदन की अवमानना बताया। सदन में किसी अन्य सदस्य द्वारा दोबारा ऐसी अशोभनीय स्थिति उत्पन्न न की जाए इसलिये उन्होंने अध्यक्ष से इस विषय को सदन में उठाने की अनुमति भी मांगी है।