पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन ने पिछले साल अप्रैल महीने से ही सीमा विवाद शुरू कर दिया था। इसके बाद 15जून की रात को पूरे मामले ने तब हिंसक रूप ले लिया, जब गलवान घाटी में भारत और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (ड्रैगन की सेना) आमने-सामने की स्थिति में आ गई थी। इस झड़प में 20जवान शहीद हो गए थे। वहीं चीन को भारी नुकसान हुआ था। चीन ने कभी भी अपने मरे गई जवानों की संख्या नहीं बताई। हालांकि बाद में पता चला कि कम से कम चीन के 40से 50जवान हताहत हुए थे।
16जून को अफवाहों का बाज़ार गर्म था। पहले ये ख़बर आई कि सीमा के एक विवादित हिस्से पर कहीं झड़प हुई है। फिर ये सुनने में आया कि अलग-अलग जगहों पर हिंसा हुई है। ऐसा लग रहा था कि जैसे हर किसी के पास एक सोर्स है और एक ख़बर भी थी। आख़िरकार दिन के एक बजे भारतीय सेना ने बताया, "गलवान घाटी में तनाव कम करने की प्रक्रिया के दौरान कल रात हिंसक झड़प हुई जिसमें दोनों ही पक्षों को नुक़सान उठाना पड़ा है। भारतीय पक्ष की ओर से एक अधिकारी और दो सैनिकों ने जान गंवाई है।" रात दस बजे के थोड़ी देर बाद ही सेना ने अपने बयान में संशोधन किया।
बयान में गलवान घाटी में चीनी पक्ष से कब्जा छुड़ाने की घोषणा के साथ ये कहा गया, "झड़प वाली जगह पर ड्यूटी पर तैनात गंभीर रूप से घायल होने वाले 17सैनिकों की मौत हो गई। इस संघर्ष में मरने वाले सैनिकों की संख्या बढ़कर 20हो गई है।"
इस के अगले दिन यानी 17जून को चीन के विदेश मंत्रालय ने इस घटना पर अपने बयान में कहा, "15जून को भारतीय सैनिकों ने आश्चर्यजनक रूप से अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम देने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा पार किया और चीनी सैनिकों पर हमला कर उन्हें उकसाया। इस वजह से दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई और सैनिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी। चीन के बयान से जो बात साफ़ हुई, वो ये थी कि भारत की तरह वो मरने वाले सैनिकों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं देता है।
'सेना के सूत्रों' का हवाला देते हुए भारत की सरकारी समाचार सेवा 'प्रसार भारती न्यूज़ सर्विसेज़' ने ट्वीट किया, "चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 45से भी ज़्यादा जवान मारे गए हैं। गलवान में हालात सामान्य करने के लिए मेजर जनरल स्तर की बातचीत चल रही है। भारत का कोई सैनिक लापता नहीं है।"
गलवान की साजिश के एक साल पूरे होने से पहले ही भारत ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर किलेबंदी कर ली है। LAC पर अत्याधुनिक हथियार और रसद लंबे समय के लिए रिज़र्व कर लिए हैं। साथ ही हाल ही में खरीदी गई कई आधुनिक हथियार और गोला बारूद को लद्दाख में तैनात कर दिया है। जहां भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में अपनी उपस्थिति मजबूत कर ली है, वहीं राफेल लड़ाकू विमानों को अपने बेड़े में शामिल करके भारतीय वायु सेना पहले से ताकतवर हो गई है। भारत ने LAC पर K-9वज्र सेल्फ-प्रोपेल्ड आर्टेलरी गन के साथ ही M-777आर्टेलरी गन भी तैनात कर दिए हैं। भारत ने चिनुक हेलिकॉप्टर की मदद से इन अल्ट्रा लाइट आर्टिलरी गन को अलग अलग मोर्चे पर लगा दिया है।
यूं तो बॉर्डर पर पिछले कई सालों से इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने का काम चल रहा था, लेकिन पिछले एक साल में इसमें और तेजी आई है। बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन सड़क को सुगम बनाने के लिए दिन-रात काम में जुटा हुआ है। भारत ने हथियारों के साथ ही एयर डिफेंस सिस्टम को भी मजबूत किया है।।भारतीय सेना ने पिछले एक साल में LAC पर आकाश मिसाइल, इजरायल से लिया स्पाइडर और रूस से खरीदे गए पेचोरा को तैनात किया है। ये वो हथियार हैं जो दुश्मन की तरफ़ से आने वाले फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर और ड्रोन को चंद सेकेंड में ही मार कर गिरा सकते हैं।
दरअसल लद्दाख के इलाके में LAC के पार बर्फ पिघलने के बाद से ही चीनी सेना लगातार अपनी मौजूदगी बढ़ा रही है और ताकत भी। ऐसे में भारत ने भी पूरी ताकत लगा दी है। LAC पर भारतीय वायू सेना को और मजबूत करने के लिए SPICE 2000मिसाइल, 300और 320स्पाइक लॉन्ग रेंज एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल R-73, 400मीडियम रेंज एयर टू एयर गाइडेड मिसाइल और रडार बस्टिंग मिसाइल भी तैनात किया है।
पूर्वी लद्दाख जैसी जगह जहां पर बहुत ठंड पड़ती है, वहां हमेशा से जवानों को रहने के लिए आवास की जरूरत पड़ती थी। इस बार ऐसे इलाकों में बनाए गए आवासों ने सेना की काफी मदद की और जवानों की शक्ति पहले की तुलना में कई गुना बढ़ा दी।