पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ केके अग्रवाल अब नहीं रहे। कोरोना के वजह से उनका निधन कल रात यानी 17 मई की रात 11 बजकर 32 मिनट पर हुआ। उन्हें कोरोना संक्रमण के बाद एम्स के आईसीयू में भर्ती किया गया था। कोरोना से लंबी लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार वो जिंदगी की जंग हार गए और 62 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। इसकी जानकारी उनके करीबी साथी ने दी। साथी ने उन्हीं के ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया और लिखा- 'डॉ केके अग्रवाल का निधन हो गया है'
ट्विटर प्रोफाइल पर पोस्ट के जरिए कहा गया है- 'डॉ केके अग्रवाल ने सोमवार को रात 11.30 बजे इस महामारी के कारण दम तोड़ दिया। उन्हें एक सप्ताह से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।',डॉ अग्रवाल पिछले सालभर से, कोविड महामारी पर वीडियो पोस्ट कर रहे थे और बीमारी के कई पहलुओं और इसके प्रबंधन के बारे में बात कर रहे थे। डॉ अग्रवाल नेकदिल इंसान थे। कोरोना काल के दौरान उन्होंने हजारों लोगों की मदद की। गरीबों और कमजोर तबके के मरीजों का उन्होंने मुफ्त में इलाज किया।
— Dr K K Aggarwal (@DrKKAggarwal) May 17, 2021
डॉ अग्रवाल की व्यक्तिगत जिंदगी की बात करें तो उनके पिता मध्यप्रदेश के रहने वाले थे। उनके पिता दिल्ली में नौकरी करने आए थे। उनके नौ भाई बहनों को माता-पिता ने बहुत अच्छी शिक्षा दी। डॉ केके अग्रवाल ने 1979 में नागपुर विश्वविद्यालय से MBBS की पढ़ाई की और 1983 में वहीं से MD किया। साल 2017 तक नई दिल्ली के मूलचंद मेडिसिटी में सीनियर कंसल्टेंट रहे। उन्होंने मेडिकल साइंसेज पर कई किताबें लिखीं है। उन्होंने आधुनिक एलोपैथी के साथ प्राचीन वैदिक चिकित्सा, इकोकार्डियोग्राफी पर 6 टेक्स्ट बुक और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रेस में कई लेख भी प्रकाशित किए।
डॉ केके अग्रवाल मानते थे कि भारतीय महाकाव्य महाभारत में कई मनोवैज्ञानिक समस्याओं का इलाज है और भगवान कृष्ण भारत के पहले काउंसलर थे। डॉ अग्रवाल CMAAO और हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी संभाली। वह भारत में दिल के दौरे के लिए स्ट्रेप्टोकिनेस थेरेपी इस्तेमाल करने वाले अग्रदूतों में से एक थे और उन्होंने भारत में कलर डॉपलर इकोकार्डियोग्राफी की तकनीक की भी शुरूआत की। डॉ अग्रवाल को 2005 मेडिकल कैटेगरी के सर्वोच्च पुरस्कार, डॉ बीसी रॉय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्हें विश्व हिंदी सम्मान, राष्ट्रीय विज्ञान संचार पुरस्कार, फिक्की हेल्थ केयर पर्सनैलिटी ऑफ द ईयर अवार्ड, डॉ डीएस मुंगेकर राष्ट्रीय IMA पुरस्कार और राजीव गांधी उत्कृष्टता पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके थे। 2010 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. डॉ केके अग्रवाल को उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए हजारों मंचों से सम्मानित किया जा चुका है. खेलगांव दिल्ली स्थित उनके ऑफिस के बाहर हर दिन सैकड़ों जरूरतमंद लोगों की कतारें लगती थीं। कोरोना का प्रकोप देश में आते ही उन्होंने जूम, फेसबुक और तमाम ऑनलाइन माध्यमों से लोगों को मदद करने की शुरुआत कर दी थी। वो हर दिन वक्त पर ऑनलाइन आकर लोगों से सवाल मांगते और उन्हें कोरोना को लेकर न सिर्फ जागरूक करते बल्कि इलाज भी बताते थे।