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रावलपिण्डी और इस्लामाबाद से मिले भारत पर ड्रोन अटैक के सबूत, अब हमला होगा, पाकिस्तान पर छाया खौफ का साया

इस्लामाबाद से लेकर भारत के जम्मू तक पाकिस्तान की ड्रोन साजिश! (Photo Courtesy Google)

इस्लामाबाद से लेकर भारत के जम्मू तक ड्रोन साजिश का पर्दाफाश होजाने के बाद पाकिस्तान की सरकार और सियासी हलकों में खलबली मची हुई है। पाकिस्तान की सरकार और फौज को ही नहीं बल्कि अब आम लोगों को भी लगने लगा है कि हिंदुस्तान ड्रोन हमलों का बदला लेने के लिए सर्जिकल या एयर स्ट्राइक जैसा कोई कदम उठा कर पाकिस्तान को सजा दे सकता है। जिस समय जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर ड्रोन से बम गिराए गए ठीक उसी दिन पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के हाई सिक्योरिटी जोन में भारतीय दूतावास के ऊपर ड्रोन को उड़ते हुए देखा गया है। जिसके बाद भारत ने इस मामले को पाकिस्तानी अधिकारियों के सामने उठाया हुए। यह ड्रोन भारतीय दूतावास के अधिकारियों के आवास के ऊपर उड़ता हुआ दिखा था। ऐसा पहली बार हुआ है जब पाकिस्तान में भारतीय मिशन के अंदर ड्रोन दिखाई दिया है।

जिस समय यह ड्रोन दिखाई दिया उस समय भारतीय मिशन के अंदर एक कार्यक्रम चल रहा था। अभी तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है कि यह ड्रोन कहां से आया था और इससे भारतीय दूतावास की सुरक्षा को कोई खतरा तो नहीं हुआ। संयोग की बात यह भी है कि उसी तारीख को जम्मू स्थित भारतीय वायु सेना के अड्डे पर ड्रोन से विस्फोटक गिराए गए थे। 27जून को भारतीय वायुसेना ने इस विस्फोट की जानकारी दी थी। इस हमले में भी पाकिस्तानी आतंकियों के हाथ होने की आशंका जाहिर की गई है। जम्मू हवाई अड्डे पर हमले के लिए मिलिट्री ग्रेड के विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया था।

जैसे ही पाकिस्तान की ड्रोन साजिश का पर्दाफाश हुआ है वैसे पाकिस्तान सरकार, सियासी दलों और मीडिया ने चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया है  कि भारत ड्रोन का बहाना बनाकर फिर से हमला कर सकता है। 

पाकिस्तान लगातार वियना संधि का उल्लंघन करता रहा है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भारतीय राजनयिकों को परेशान करने का काम भी करती है। कई बार भारतीय राजनयिकों का पीछा किया जाता है। इस्लामाबाद के अति सुरक्षित क्षेत्र में राजनयिकों के आवास होने के बावजूद लोगों को इकट्ठा करवाकर भारतीय मिशनों के आगे शोरगुल भी किया जाता है।

साल 1961में आजाद देशों के बीच राजनयिक संबंधों को लेकर वियना संधि हुई थी। इस संधि के तहत राजनयिकों को विशेष अधिकार दिए गए हैं। इस संधि के दो साल बाद 1963में संयुक्त राष्ट्र संघ ने इंटरनेशनल लॉ कमीशन द्वारा तैयार एक और संधि का प्रावधान किया, जिसे वियना कन्वेंशन ऑन कॉन्सुलर रिलेशंस कहा गया। इस संधि को 1964में लागू किया गया था।