राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल (Ajit Doval)पर पाकिस्तान के आतंकी नजर रख रहे थे। इस खुलासा एक वीडियो से हुआ है। जैश (Jaish-e-Mohammad) से जुड़े एक आतंकी के पास से एक वीडियो मिला है जो कि अजीत डोभाल के ऑफिस का है। डोभाल के सहारे भारत ने पाकिस्तान को पिछले तीन-चार दशक में अच्छी-खासी चोट पहुंचाई है। उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे डोभाल का करियर बतौर आईपीएस ऑफिसर शुरू हुआ था। देश के भीतर दुश्मनों से निपटने के साथ-साथ विदेश में, खासतौर पर पाकिस्तान में डोभाल ने अपने काम से अलग छाप छोड़ी है।
बताया जा रहा है कि यह रेकी पिछले साल की गई थी। मलिक ने डोभाल के ऑफिस और श्रीनगर में अन्य इलाकों का वीडियो रिकॉर्ड किया था। मलिक ने ये वीडियो अपने आकाओं को पाकिस्तान भेजे थे। इसकी जानकारी मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जम्मू-कश्मीर में दोबारा आतंक फैलाने की साजिश में जुटे हुए हैं। खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को बताया है कि जम्मू-कश्मीर में जम्मात-ए-इस्लामी लश्कर, जैश, हिजबुल मुजाहिदीन को भारी फंड मुहैया कराने में जुटा हुआ है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के जरिये, दुबई तुर्की के रास्ते फंडिंग मुहैया कराई जा रही है।
अजीत डोभाल को जासूसी का लंबा अनुभव रहा है। अंडरकवर रहते हुए पाकिस्तान में करीब सात साल बिताए। कहा जाता है कि इस दौरान वह एक मुसलमान के रूप में इस्लामाबाद में रहकर खुफिया जानकारी जुटाते रहे। 90 के दशक की शुरुआत में डोभाल को कश्मीर भेजा गया था। कश्मीर पाकिस्तान के लिए आतंक का प्लेग्राउंड रहा है। उसकी हर साजिश का कोई न कोई सिरा कश्मीर से होकर गुजरता है। डोभाल को जिम्मा दिया गया था आतंकवादियों को समझाने का। डोभाल अपने मिशन में कामयाब भी हुए और 1996 में जम्मू और कश्मीर में चुनाव का रास्ता साफ हुआ।
भारत ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा (आर्टिकल 370) खत्म किया था। कश्मीर में पूरी तरह से कर्फ्यू था, अलगाववादी नेता नजरबंद थे। कश्मीर की जनता को भड़काने में पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने कोई कसर नहीं छोड़ी। तब भी अजीत डोभाल लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे। वे खुद कश्मीर गए और वहां लोगों से बातचीत करते नजर आए।