ग्रेटा टूल किट मामले में हर रोज एक नया खतरनाक खुलासा हो रहा है। आज जो सबसे बड़ा खुलासा हुआ है वो यह है किसान आंदोलन की आड़ में आईएसआई ने खालिस्तानी आतंकियों को एक्टिव कर दिया था। आईएसआई ने इस ऑप्रेशन को K2(के-2)दिया था। के-2 का मतलब खालिस्तान और कश्मीर है। इस ऑप्रेशन में 26 जनवरी को हुई हिंसा भी शामिल थी। 26 जनवरी की हिंसा का जिम्मा आईएसआई ने अपने पियादे पीटर फ्रेडरिक को सौंपा था। भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर पीटर फ्रेडरिक पर कई साल से थी। पीटर फ्रेडरिक पीएम मोदी के विदेशों में होने वाले कार्यक्रमों के खिलाफ अभियान चलाता था।
K-2 (के-2) डेस्क क्या है
आज जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है कि आईएसआई के एजेंट पीटर फ्रेडरिक के अलावा खालिस्तानी आतंकी भजन भिंडर और धालीवाल जूम एप के जरिए जिस भारत विरोधी वेब कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था उसमें दिशा रवि, निकिता जैकब, शांतनु के अलावा कुछ कथित बुद्धिजीवी और भारत के कथित प्रगतिशील जर्नलिस्ट भी शामिल हुए थे। इसी बैठक में 26 जनवरी को हिंसा करने और हिंसा के वीडियो और फोटोग्राफ्स दुनियाभर में फैलाने की साजिश भी थी। खालिस्तानी आतंकी और आईएसआई भारत सरकार की छवि क्रूर, तानाशाह की दिखानी थी। इसी आड़ में भारत में विखण्डन के बीज रोपने थे। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पाकिस्तान सरकार में भी के-2 डेस्क है। यही के-2 डेस्क पाक आर्मी और आईएसआई के जरिए दुनिया भर में खालिस्तान और कश्मीरी प्रोपेगंडा से संबंधित गोपनीय ऑप्रेशंस को देखती है। अभी तक मिली जानकारियों के अनुसार दिशा रवि का संबंध आईएसआई के एजेंट पीटर फ्रेडरिक (Peter Friedrich) से भी है। पीटर फ्रेडरिक और खालिस्तानी आतंकी भजन सिंह भिंडर उर्फ इकबाल चौधरी पिछले काफी लंबे समय से एक साथ भारत के खिलाफ कार्रवाइयों में शामिल रहे हैं। इकबाल पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की ओर से संचालित कश्मीर खालिस्तान (K-2 डेस्क)का प्रमुख चेहरा है।
डिजिटल डॉक्युमेंट
दिल्ली पुलिस के मुताबिक स्वीडिश पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने 3 फरवरी को जो टूलकिट गलती से ट्वीट किया था उसमें फ्रेडरिक के नाम का उल्लेख हुआ था। फ्रेडरिक 2006 से ही सुरक्षा एजेंसियों के रेडार पर है। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद फ्रेडरिक से जुड़े एक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, "दिल्ली पुलिस न खालिस्तानी समर्थक पीटर फ्रेडरिक की भूमिका उजागर की है। किसान आंदोलन को सपोर्ट करने के नाम पर तैयार किए गए टूलकिट डॉक्युमेंट मेंसेक्शन वाइज बताया गया है कि किस खास दिन को कौन से खास हैशटैग इस्तेमाल करने हैं, कौन से ऐक्शन लेने हैं, किन्हें टैग करना है और किन्हें फॉलो करना है। किन्हें फॉलो करना है- इस सेक्शन में प्रमुख मीडिया घरानों, मशहूर फैक्ट चेकरों, कुछ एनजीओ के नाम के साथ-साथ पीटर फ्रेडरिक भी शामिल था।
खालिस्तानी वेबसाइट
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल के डेप्युटी कमिश्नर अन्येश रॉय ने कहा कि टूलकिट कोी सामान्य डॉक्युमेंट नहीं है। उन्होंने कहा, "इसमें भारी संख्या में हाइपरलिंक्स हैं जो गूगल ड्राइव्स, गूगल डॉक्स और वेबसाइटों के हैं। इनमें एक प्रमुख वेबसाइट आस्कइंडियावाइ.कॉम (askindiawhy.com)है। इस वेबसाइट पर खालिस्तानी समर्थन से जुड़े ढेर सारे कंटेंट हैं।" उन्होंने कहा कि टूलिकट अपने आप में एक ऐक्शन प्लान है। अन्येश ने कहा, "टूलकिट एक प्राइवेट डॉक्युमेंट है जिसे सीमित संख्या में लोगों के बीच शेयर करना था जो लोगों की धारणा बदलने का काम करते। रणनीति के तहत वैश्विक हस्तियों को फॉलो करना था और फिर झूठे अफसाने गढ़ने थे। यहां तक कि खालिस्तानी प्रॉपगैंडे को आगे बढ़ाने की भी साजिश रची गई थी।"
इस मामले में देश-विदेश एक हजार से ज्यादा लोग पुलिस के रेडार पर हैं। देश के खिलाफ साजिश रचने के लिए 6 दिसंबर को एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया गया, जिसमें दिशा, शांतनु, निकिता और खालिस्तानी आतंकी एमओ धालीवाल समेत तमाम लोग जोड़े गए। टूलकिट को दिशा, निकिता और शांतनु ने मिलकर तैयार किया था। इसके लिए 11 जनवरी को जूम के जरिए मीटिंग हुई, जिसमें 70 लोग शामिल हुए थे।