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Pangong लेक से वापस भागी चीनी फौज, टैंकों पीछे हटने का वीडियो आया सामने

Pangong Lake China Pull Back India Remains on its Base

आठ महीने से ज्यादा लम्बे समय से चले आ रहे तनाव का अब खात्मा और भारत की चीन पर नैतिक विजय का डंका बजना शुरू हो गया है। पूर्वी लद्दाख में गलवान वैली और पैंगोग त्सो झील से चीन की सैनिक वापस लौट रहे हैं। भारत सरकार की आंख में आंख डाल कर बात करने वाले बयान को साकार करते हुए इंडियन आर्मी और डिप्लोमैसी की बड़ी जीत हासिल की है। भारतीय सेनाओं ने चीन के सामने पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण हिस्सों से वापसी के अलावा कोई और विकल्प नहीं छोड़ा था।

इसी के साथ डिप्लोमैटिक स्तर पर भारत ने आक्रामक किंतु सधा हुआ रवैया अपनाया और मजबूरी में चीन को वापस लौटना पड़ा है। इसी बात की पुष्टि करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद के माध्यम से देश को जानाकारी दी कि पैंगोग त्सो झील से चीनी सैनिकों की वापसी पर सहमति बन गई है। बुधवार  से चीनी सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा किहमारी सरकार यह साफ कर देना चाहती है कि हम एक इंच भी जमीन किसी को नहीं देंगे। हालांकि राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी हालत फिर दुबारा न बने इसलिए कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का सिलसिला जारी है।

सदन में पैंगोंग झील को लेकर हुए समझौते के मुताबिक, चीन अपनी सेना को फिंगर 8 से पूर्व की ओर रखेगा। इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकड़‍ियों को फिंगर 3 के पास अपने परमानेंट बेस पर रखेगा। सामरिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण कई क्षेत्रों को चिन्हित कर हमारी सेनाएं वहां मौजूद हैं। पूर्वी लद्दाख में चीन के ऊपर भारत का 'एज' बना हुआ है। मिलिट्री और डिप्‍लोमेटिक लेवल पर हमारी बातचीत हुई है। हमने तीन सिद्धांतों पर जोर दिया है, पहला है कि LAC को माना जाए और उसका आदर किया जाए। दूसरा है कि किसी स्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास न किया जाए और तीसरा यह है कि सभी समझौतों का पालन किया जाए।

इसके अलावा राजनाथ सिंह ने जो महत्वपूर्ण बात कही वो यह कि स्थानीय स्तर पर समस्याओं को निपटाने के लिए फील्ड कमाण्डर को दिल्ली की जरूरत नहीं पड़ेगी। जो अफसर मौके पर मौजूद हैं वो अपने विवेक के आधार पर देश हित में फैसला ले सकते हैं।