जहां मुस्लिम देश कट्टर दुश्मनी के नजरिए को अलविदा बोलकर इजरायल के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहे हैं तो वहीं भारत में टेक्नोलॉजी अपनाने को लेकर मुसलमानों का नजरिया सकारात्मक होता जा रहा है। अब परंपरागत मदरसों और मरकजों में न केवल कंप्यूटर से काम काज हो रहा है बल्कि दीनी तालीम भी इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन दी जाने लगी है। दीनी तालीम ऑनलाइन दिए जाने की शुरूआत नदवा से हो चुकी है।
कोरोना संकट के मद्देनजर नदवातुल उलमा भी दूसरे मुल्कों से आ रहे नौजवानों को ऑनलाइन तालीम दे रहा है। थाईलैण्ड, मलेशिया, सिंगापुर, बांग्लादेश, ब्रोनाई, अफ्रीका, अफगनिस्तान समेत अन्य कई मुल्कों के बच्चों को अपना वतन छोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्हें घर बैठे यह सुविधा मिल रही है। नदवातुल उलमा के सहायक रजिस्ट्रार डा. हारून राशिद ने कहा कि हमने अपने यहां ऑनलाइन शिक्षा अगस्त से शुरू की है। कोरोना का असर बच्चों की पढ़ाई पर न पड़े इसके लिए जूम ऐप के माध्यम से ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं। इसमें करीब 2000 बच्चों को लाभ मिल रहा है। कक्षाएं ग्रुपों के माध्यम से चलाई जा रही हैं। दूसरे मुल्कों से तकरीबन 125 बच्चे थे। लेकिन कोरोना संकट देखते हुए सब अपने मुल्क वापस चले गये। उन्हें ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही है।
डा. हारून राशिद ने कहा कि नई शिक्षा नीति को अपनाते हुए प्रधानाचार्य सईदुर्रहमान के दिशा निर्देशन में यह ऑनलाइन कक्षाएं चल रही है। कोरोना संकट के कारण जो छात्र परीक्षाओं में शामिल न हो सके उनकी परीक्षाएं भी ऑनलाइन माध्यम से कराईं जानी है। वह घर बैठकर परीक्षा दे सकेंगें। डिग्री के लिए भी बच्चे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए हेल्प नम्बर भी जारी किये गये हैं।.