पीएम मोदी नरेंद्र मोदी ने 24 दिसंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांतिनिकेतन के शताब्दी समारोह को संबोधित किया। इस समारोह में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी मौजूद रहे। पीएम मोदी ने कार्यक्रम में बोलते हुए विश्व भारती यूनिवर्सिटी के इतिहास की का गौरवगान किया और कहा कि भारत देश यहां से निकले संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है। पीएम ने कहा, 'विश्वभारती की सौ वर्ष यात्रा बहुत विशेष है। विश्वभारती, माँ भारती के लिए गुरुदेव के चिंतन, दर्शन और परिश्रम का एक साकार अवतार है।'
<a href="https://hindi.indianarrative.com/world/freedom-fighter-karima-baloch-pak-army-and-imran-govt-trembling-22179.html" target="_blank" rel="noopener noreferrer">भारत के लिए गुरुदेव ने जो स्वप्न देखा था</a>, उस स्वप्न को मूर्त रूप देने के लिए देश को निरंतर ऊर्जा देने वाला ये एक तरह से आराध्य स्थल है। हमारा देश, विश्व भारती से निकले संदेश को पूरे विश्व तक पहुंचा रहा है। <strong>भारत आज इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण में विश्व का नेतृत्व कर रहा है. भारत आज इकलौता बड़ा देश है जो Paris Accord के पर्यावरण के लक्ष्यों को प्राप्त करने के सही मार्ग पर है। </strong>
<h3>गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार</h3>
पीएम मोदी ने कहा, 'विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है।' ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है। उनका विजन था कि जो भारत में सर्वश्रेष्ठ है, उससे विश्व को लाभ हो और जो दुनिया में अच्छा है, भारत उससे भी सीखे। आपके विश्वविद्यालय का नाम ही देखिए: विश्व-भारती।
मोदी ने कहा, वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी। और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी। वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी। इन शिक्षण संस्थाओं ने भारत की आज़ादी के लिए चल रहे वैचारिक आंदोलन को नई ऊर्जा दी, नई दिशा दी, नई ऊंचाई दी. भक्ति आंदोलन से हम एकजुट हुए, ज्ञान आंदोलन ने बौद्धिक मज़बूती दी और कर्म आंदोलन ने हमें अपने हक के लिए लड़ाई का हौसला और साहस दिया।
<h3>उल्टे साड़ी पहनने की शुरुआत</h3>
वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में महिलाओं के उल्टे पल्लू की साड़ी पहनने की शुरुआत को लेकर रोचक जानकारी दी। उन्होंने बताया, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई और देश के पहले आईसीएस अफसर सत्येंद्रनाथ टैगोर की पत्नी ज्ञानंदिनी देवी ने बाएं कंधे पर महिलाओं को साड़ी का पल्लू बांधना सिखाया।
<strong>पीएम मोदी ने कहा, गुरुदेव रवींद्रनाथ के बड़े भाई सत्येंद्र नाथ की आईसीएस अफसर के रूप में नियुक्ति गुजरात के अहमदाबाद में हुई थी। सत्येंद्रनाथ की पत्नी ज्ञानंदिनी जी अहमदाबाद में रहतीं थीं। स्थानीय महिलाएं दाहिने कंधे पर पल्लू रखतीं थी, जिससे महिलाओं को काम करने में दिक्कत होती थी। ज्ञानंदिनी देवी ने आइडिया निकाला- क्यों न पल्लू बाएं कंधे पर लिया जाए। </strong>
पीएम मोदी ने कहा, अब मुझे ठीक-ठीक तो नहीं पता लेकिन कहते हैं- बाएं कंधे पर साड़ी का पल्लू उन्हीं (ज्ञानंदिनी देवी) की देन है। वीमेन इंपावरमेंट से जुड़े संगठनों को इस बात का अध्ययन करना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर और गुजरात के गहरे संबंधों का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा, गुरुदेव के बारे में बात करता हूं तो गुरुदेव और गुजरात की आत्मीयता का स्मरण कराने के मोह से रोक नहीं पाता। ये बार-बार याद करना इसलिए जरूरी भी है कि क्योंकि ये हमें एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना से भरता है। अलग-अलग बोलियों, खानपान वाला हमारा देश एक दूसरे से कितना जुड़ा है? विविधताओं से भरा हमारा देश एक है। बहुत कुछ एक दूसरे से सीखता रहा है।.