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दिसंबर में की थी भविष्यवाणी- बंगाल में दहाई का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी भाजपा, ममता की जीत के बाद PK ने लिया संन्यास

prshant kishor

पश्चिम बंगाल में खेला हो गया है। तृणमूल कांग्रेस लगातार तीसरी बार बंगाल की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। ममता बनर्जी की जीत में एक शख्स का अहम योगदान है। ये शख्स कोई और नही चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर हैं। प्रशांत किशोर ने बंगाल चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के 100 सीट तक नहीं पहुंचने का दावा कर दिया था। प्रशांत किशोर ने कहा था कि अगर भाजपा डबल डिजिट क्रॉस कर गई तो मैं अपना काम ही छोड़ दूंगा।

चुनावी नतीजे प्रशांत को सही साबित कर रहे हैं। बंगाल में भाजपा 99 के पार तो नहीं जा रही। बंगाल में ममता बनर्जी और और तमिलनाडु में एमके स्टालिन को जीत दिलाने के दावे पर खरे उतरने के बाद भी प्रशांत ने एक टीवी इंटरव्यू में यह कहकर चौंका दिया कि अब वो इस जीत के बाद I-PAC (उनकी फर्म) छोड़ना चाहते हैं। अब वे चुनावी रणनीति बनाने का काम नहीं करना चाहते। वे चाहते हैं कि उनकी टीम के बाकी साथी अब इस काम को संभालें।

चुनाव मैनेजमेंट का काम छोड़कर अब पीके क्या करेंगे, इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि कुछ समय दीजिए, इसके बारे में सोचना पड़ेगा. मैं कुछ तो करुंगा। पीके ने ये भी बताया कि क्विट करने की बात मैं काफी लंबे समय से सोच रहा था, लेकिन सही वक्त नहीं मिल रहा था, अब बंगाल के वक्त राइट टाइम लगा.  जब उनसे पूछा गया कि क्या अब वे राजनीति में आने की तैयारी में हैं तो उन्होंने साफ तौर पर कहा कि वे एक विफल पॉलिटिशियन साबित हुए हैं। अब वे आगे क्या करेंगे, इस बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा। हालांकि, मजाकिया लहजे में उन्होंने कहा कि हो सकता है कि वे अपनी फैमिली के साथ असम में जाकर एक टी गार्डन चलाएं।

प्रशांत किशोर राजनेता नहीं हैं, लेकिन उनका काम राजनीतिक दल को चुनाव लड़ने का तरीका बताने का है। चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दल किस तरह का प्रचार अभियान तैयार करें कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा फायदा पहुंचे, इसके लिए उनकी कंपनी काम करती है। हालांकि प्रशांत कहते हैं कि किसी दल की चुनावी जीत केवल रणनीति पर निर्भर नहीं होती। दल के नेता का काम और नाम बहुत मायने रखता है।