भारत में इस वक्त कोरोना की दूसरी लहर चल रही है जो कि बेहद ही खतरनाक है। इस दौरान देश में वैक्सीन भी लोगों को तेजी से लगाई जा रही है। स्वदेशी वैक्सीन की दोनों डोज को लेने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं और कईयों की मौत तक हो गई है। ऐसे में देश में कई ऐसे लोग हैं जो स्वदेशी दवा की जगह दुबई की फाइजर को चुन रहे हैं और उसके लिए वो 55 लाख खर्ज करने के लिए तैयार हैं।
दरअसल, भारत के अमीर कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए इस वक्त दुबाई जा रहे हैं वो भी चार्टर्ड प्लेन से। यहां तक की इसके लिए 55 लाख रुपए तक खर्च करने के लिए तैयार हैं। ये लोग वहां फाइजर की वैक्सीन को तरजीह दे रहे हैं जबकि यूएई में एस्ट्राजेनेका और साइनोफार्म की वैक्सीन भी उपलब्ध है। यूएई में 40 साल और उससे अधिक उम्र को लोगों को मुफ्त में वैक्सीन लगाई जा रही है।
दुबई का रेजिडेंट वीजा रखने वाले अमीर भारतीय कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए दुबई का रुख कर रहे हैं। यह ट्रेंड मार्च में शुरू हुआ जब दुबई ने रेजिडेंट वीजाधारकों को वैक्सीन के लिए रजिस्टर करने की अनुमति दी। अप्रैल में इसमें तेजी देखी गई है, जब भारत में कोरोना के मामलों में तेजी आई है। वैक्सीन लगा चुके लोगों और चार्टर ऑपरेटर्स का कहना है कि कुछ लोग वैक्सीन की दो डोज लगाने के लिए दुबई में ही रह रहे हैं जबकि कुछ लोग एक डोज लगवाने के बाद वापस आ जा रहे हैं और दूसरी डोज लगवाने के लिए वापस चक्कर लगा रहे हैं। फाइजर की वैक्सीन की दो डोज के बीच तीन हफ्ते का अंतर है।
जो भी वैक्सीन लगवाने के लिए दुबाई जा रहे हैं उनका आने जाने का खर्च 35 लाख से 55 लाख रुपए है। यह खर्च इससे अधिक भी हो सकता है। यह ऑपरेटर की प्राइस, सिटी ऑफ ओरिजिन, दुबई में रहने की अवधि और नंबर ऑफ पैसेंजर्स पर निर्भर करता है। जिन भारतीयों का व्यवसाय दुबई में रजिस्टर्ड है, उनके पास रेजिडेंट वीजे है। यूएई कुछ प्रोफेशनल कैटगरीज की भी रेजिडेंट वीजा देता है।
दुबई का रेजिडेंट वीजा रखने वाले एक टॉप कॉरपोरेट मैनेजर ने मार्च में दुबई में फाइजर की वैक्सीन लगाई थी। वह चाहते तो भारत की वैक्सीन लगवा सकते थे लेकिन उन्होंने दुबई जाकर फाइजर लगवाया। इसपर उनका कहना है कि, मुझे लगा की फाइजर की वैक्सीन अच्छी तरह जांची परखी है और सुरक्षित है। मैंने और मेरी पत्नी ने एक प्राइवेट जेट लिया और हम दुबई में 20 दिन रहे। सबकुछ सही रहा।'