'रोहिंग्या मुसलामानों की तादाद यूपी और दिल्ली में बहुत तेजी से बढ़ रही है। इन्होंने आधार और पैन कार्ड भी बनवा लिए हैं। इनके निशाने पर यूपी के विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। रोहिंग्या अवैध घुसपैठिए हैं। ये भारत के नागरिक नहीं हैं। इनकी गतिविधियां भी संदिग्ध हैं।'
रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी जनसंख्या ने राशनकार्ड बनवा लिए हैं। खबरें ऐसी भी हैं कि बहुतों ने आधारकार्ड भी बनवा लिए हैं। कतिपय लोग अपने स्वार्थों के लिए रोहिंग्याओं को वोटर लिस्ट में शामिल कराने का षडयंत्र कर रहे हैं। अपुष्ट जानकारी तो यह भी रोहिंग्याओं के नाम वोटर लिस्ट शामिल करवा दिए गए हैं। इन्हीं सूचनाओं पर यूपी की एसटीएफ सक्रिए हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इससे पहले ही यूपी में रोहिग्याओं की घुसपैठ की खबरें हैं। केंद्रीय जांच ऐजेंसियों से जानकारी मिली है कि रोहिंग्याओं ने दिल्ली में बड़े पैमाने पर घुसपैठ कर ली है। इनका सरगना खजूरी खास इलाके से गैंग ऑपरेट करता है। ये लोग मुस्लिम बहुल्य इलाकों के आस-पास अपनी बस्तियां बनाते हैं और फिर उन्हीं में घुलमिल जाते हैं।
यूपी एटीएस ने कुछ सूचनाओं के आधार पर कार्रवाई की तो पता चला कि रोहिंग्या अपराधी उत्तर प्रदेश को अपना ठिकाना बना रहे है। यूपी एटीएस ने अब तक 11 अपराधियों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए पासपोर्ट, राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि बरामद किए गए हैं।
अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या को लेकर सुरक्षा एजेंसिया सतर्क हैं। गिरफ्तार हुए इन अपराधियों से पूछताछ में कई बड़े खुलासे हुए हैं। पूछताछ के दौरान पता चला है कि देश में आमिर हुसैन नामक वेंडर है जो अवैध तरीके से रोहिंग्या नागरिकों को भारत में एंट्री कराता है। वेंडर दिल्ली के खजूरी खास से ऑपरेट करता है। पुलिस के मुताबिक, रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को यूपी में ठिकाना बनाने के लिए प्रेरित किया गया है।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक, रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को यूपी में ठिकाना बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले इन सभी को राशन कार्ड और पैन कार्ड बनवा कर स्थाई सदस्यता दिलवाने की साजिश है, जिससे यूपी चुनाव में इनकी भागीदारी हो और एक बड़ा वोट बैंक तैयार किया जाए। इसके लिए इनको अच्छी खासी रकम भी दी जाती है।
पुलिस के मुताबिक, प्रदेश में रह रहे रोहिंग्याओ की पहचान कर पाना इस वजह से मुश्किल होता है क्योंकि इनके पास आधार कार्ड और वोटर कार्ड अन्य राशन संबंधी कार्ड मौजूद रहते हैं। जिससे वह आम जनता में घुल-मिल जाते हैं और चुनाव में वोटिंग भी कर सकते हैं। ऐसे में एटीएस के सामने सबसे बड़ी चुनौती ऐसे बहरूपियों को पहचान कर उनके खिलाफ कार्यवाई करने की है।