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Uniform Civil Code को लेकर देश में बवाल, लेकिन गोवा में 1867 से ही है लागू!

गोवा में Uniform Civil Code

देश की विपक्षी पार्टी जहां एक ओर Uniform Civil Code को लेकर बवाल मचाए हुए है,वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि इसी देश के एक प्रांत में आजादी से पहले से ही UCC लागू है। यहां शरीयत कानून नहीं चलता है। जी हां भारत के गोवा में सन 1867 ई. से ही UCC लागू है। इस प्रदेश में एक कानून है,कोई शरीयत कानून यहां वैध नहीं है।

गोवा में Uniform Civil Code आजादी के बाद से ही नहीं बल्कि 1867 ई.से ही लागू है। गोवा में हिंदू मुस्लिम ,सिख और ईसाई सभी समुदाय के लोगों के लिए एक ही कानून है। हालांकि शादी और तलाक के मामले में हिंदू समुदाय के लोगों के लिए कानून अलग है। राज्य में ईसाई समुदाय के लोगों को दूसरे धर्म को मानने वाले लोगों की तुलना में शादी करने में थोड़ी आसानी होती है।

जानते हैं गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड का इतिहास

संपत्ति, शादी और कानून को लेकर अन्य राज्यों की तुलना में गोवा का कानून अलग है। UCC को लेकर देश की सियासी पार्टियों के बीच हो रहे जुबानी जंग के बीच आपको यह जानना जरूरी है कि देश में एक ऐसा भी राज्य है, जहां 1867 से ही Uniform Civil Code लागू है।

इसके लिए गोवा के इतिहास को जानना जरूरी है। इतिहास के पन्नों को अगर पलटें को 1510 में पुर्तगालियों ने गोवा पर कब्जा करने की शुरुआत कर दी थी। और इस तरह पुर्तगालियों ने गोवा पर तकरीबन 451 सालों तक शासन किया। इस दौरान पुर्तगालियों ने गोवा में कई तरह के क़ानूनों को लागू किया,जिसमें एक कानून पुर्तगाल सिविल कोड (Portuguese Civil Code) भी है। इस कानून की रूपरेखा गोवा में नहीं, बल्कि पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन के अजूडा नेशनल पैलेस में तैयार की गई थी।

पुर्तगाली चले गए पर रह गया कानून

गोवा में पुर्तगाल सिविल कोड बनाने की शुरुआत 1 जुलाई 1867 में हुई,जो 647 पन्नों में दर्ज है। इस कानून में जो सबसे पहले लिखा है वो यह है कि डोम लुइज बाई द ग्रेस ऑफ द गॉज एंड किंग ऑफ द पुर्तगाल, जिसका हिंदी में अर्थ होता है, ‘ईश्वर की और पुर्तगाल के राजा की कृपा से’। पुर्तगाल में बनाए गए इस कानून को गोवा में लागू कर दिया गया।

इतिहासकारों की माने तो प्रोटो के हाई कोर्ट के जज डॉ एनटोनियो लुइस जा सियाबरा ने इस कानून को बनाने में नौ सालों का लंबा वक्त लिया। गोवा के तत्कालीन पुर्तगाली गवर्नर वासलो डे सिल्वा ने 19 दिसंबर, 1961 को भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और इस तरह गोवा भारत का हिस्सा बन गया। गोवा में पुर्तगाली शासन तो ख़त्म हो गया लेकिन उसके बनाए कानून ख़त्म नहीं हुए। राज्य में अभी भी पुर्तगाली कानून यानी गोवा सिविल कोड लागू है।

आख़िर क्या है गोवा सिविल कोड?

गोवा में अगर किसी की शादी होती है,तो वर-वधु दोनों एक दूसरे की संपत्ति के बराबर के अधिकारी होते हैं। तलाक़ होने पर आधी संपत्ति का अधिकारी पत्नी होती है।वहीं, मां-बाप को अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा अपने बच्चों को देना होगा,जिसमें बेटियां भी बराबर की हक़दार होती हैं। साथ ही राज्य में कोई भी व्यक्ति एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकता है।

गोवा में आयकर के नियम भी अन्य राज्यों से अलग है। गोवा में अगर पति-पत्नी दोनों कमाते हैं तो ऐसी स्थिति में दोनों की कमाई को जोड़कर यानी कुल कमाई पर टैक्स लगाया जाता है। वहीं, जब पति को अपने घर बेचना होता है तो इसके लिए उसे अपनी पत्नी से इज़ाज़त लेनी होती है।

गोवा में हिंदुओं के शादी के नियम

गोवा में कोई भी नागरिक एक से ज्यादा शादी नहीं कर सकता है,लेकिन अगर कोई हिन्दू औरत बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है या 30 साल की उम्र तक वह बेटे को जन्म नहीं दे पाती है तो इस स्थिति में हिन्दू पुरुष दूसरी शादी कर सकता है। यह नियम सिर्फ हिन्दू समुदाय के लिए है। हालांकि गोवा के मुख्यमंत्री ने कहा है कि अब यह नियम अप्रासंगिक हो चुका है,क्योंकि 1910 से इसका लाभ किसी ने नहीं उठाया है।

गोवा में शादी और तलाक़ से जुड़े कानून

गोवा में सिविल कोड के मुताबिक लोगों को आधिकारित तौर पर शादी के लिए 2 चरणों से गुजरना पड़ता है। पहला मां-बाप की मौजूदगी में जो शादी होती है,उसके लिए दूल्हा-दुल्हन का बर्थ सर्टिफिकेट,डोमिसाइल और रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ती है। वहीं, दूसरा तरीका वो होता है जिसमें दूल्हा-दूल्हन अपने मन से शादी करते हैं तो वैसी स्थिति में शादी के पंजीकरण करने के लिए दूल्हा-दुल्हन के अलावा 2 गवाह अनिवार्य होता है।

हालांकि , ईसाइयों के लिए शादी का कानून अलग है। प्रदेश में कैथोलिक धर्म के लोगों को सिर्फ रजिस्ट्रार के सामने पेश होना पड़ता है। वहीं, दूसरे चरण में चर्च में की गई शादी को भी मान्यता प्राप्त है। जबकि गैर ईसाई धर्मावलम्बियों के लिए तलाक़ के लिए सिविल कोर्ट का रुख करना पड़ता है,लेकिन ईसाई लोगों को चर्च के सामने दिए गए तलाक़ को मान्यता दी गई है।

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