शनिवार शाम को परमबीर सिंह के लेटर बम से धमाके से सन्नाटे में आई शिव सेना के प्रवक्ता संजय राउत ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट पर उन्होंने एक शेर लिखा है। इस शेर का आश्य लगाया जा रहा है वो यह है कि उद्धव ने इस्तीफा देने का मन बना लिया है। संजय राउत के शेयर किए गए शेर में मंजिल आए मुसाफिर और नए रास्तों की तलाश जैसे शब्द हैं।
शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने एक शायरी ट्वीट कर अलग ही संदेश दिया है। राउत लिखते हैं, "हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है, हम हैं मुसाफिर ऐसे जो मंजिल से आए हैं।"
शुभ प्रभात… pic.twitter.com/lKWKS9pFkf
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) March 21, 2021
संजय राउत का शेरो-शायरी के जरिए संदेश देना नया नहीं है। जब महाराष्ट्र में सरकार बनाने की खींचतान चल रही थी, तब भी वह ऐसे ही शायरियों के जरिए अपनी बात रख रहे थे। जब भी विवाद होता है, ट्विटर पर राउत शेरो-शायरी शुरू कर इशारे देने लगते हैं। अब इस ट्वीट का क्या मतलब है, यह तो वही जानें मगर पार्टी की आधिकारिक प्रतिक्रिया यही है कि 'महा विकास अघाड़ी सरकार इस मुद्दे पर चर्चा करेगी।' इसी बीच खबर यह आरही है कि एनसीपी सुप्रीमो आगरा से दिल्ली पहुंचे हैं और पार्टी की कोर कमेटी की बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि एनसीपी जल्द ही कोई बड़ा फैसला कर सकती है।
परमबीर सिंह ने शनिवार को एक चिट्ठी से महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया। उन्होंने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाया कि मंत्री ने उनके टीम मेंबर सचिन वझे को बार और हुक्का पार्लरों से प्रतिमाह 100 करोड़ रुपये उगाहने का टारगेट दिया था। इसके जवाब में देशमुख ने ट्वीट किया कि सिंह ने एसयूवी मामले में कार्रवाई और मनसुख हिरेन की मौत से संबंधित मामले में खुद को बचाने के लिए उन पर झूठे आरोप लगाए। यह मामला ऐसा है जिससे शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस की महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार की टेंशन बढ़ गई है।
मुकेश अंबानी के केस का पूरा इनवेस्टिगेशन अब एनआईए कर रही है, जिसने सचिन वझे को अरेस्ट किया है। एनआईए केंद्रीय एजेंसी है। इस बात की पूरी संभावना थी कि पमरबीर सिंह को भी इस केस में बयान के लिए बुलाया जाता, क्योंकि वह सचिन के बॉस थे। परमबीर सिंह अभी सर्विस में हैं। सितंबर 2022 में उनका रिटायरमेंट है।
सूत्रों के मुताबिक शिवसेना इस चिट्ठी के बाद एनसीपी से अपने आगे के रिश्तों पर विचार कर सकती है और हो सकता है कि जिद से हटते हुए बीजेपी बड़ी पार्टी होते हुए भी शिवसेना का मुख्यमंत्री बना रहने दे और बिहार की तर्ज पर महाराष्ट्र में फिर शिवसेना के साथ गठबंधन का मन बनाए।