शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्रप्रमुखों की बैठक से पहले ही भारत ने साबित कर दिया है कि जहां से चीन और पाकिस्तान के नेताओं की सोच खत्म हो चुकी होती है भारत उससे कहीं आगे शुरू करता है। मूलतः चीन के विचार और अवधारणा वाले एससीओ (SCO Summit 2020) संगठन की हर बैठक में भारत ने हिस्सा लिया है। इतना ही नहीं भारत ने आगे बढ़कर शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्रप्रमुखों की बैठक का आयोजन भी करवाया। भारत ने इसी के साथ ऐलान कर दिया कि इस एससीओ (SCO Summit 2020)आयोजन की मेजबानी और अध्यक्षता उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडु करेंगे। शांति और अहिंसा के प्रतीक महात्मा बुद्ध की विरासत से भारत एससीओ (SCO Summit 2020) के राष्ट्रप्रमुखों को अवगत कराने के लिए एक विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित कर रहा है। इस प्रदर्शनी में चीन के अलावा पाकिस्तान और गिलगिट बालटिस्तान में स्थित (उपेक्षित) अतिमहत्वपूर्ण बौध्द स्थलों को पहली बार दुनिया के सामने लाया जाएगा।
चीन ने पिछले कुछ समय से बौद्ध धर्म पर एक छद्म अभियान छेड़ रखा है। शी जिनपिंग सरकार <a href="https://www.buddhistdoor.net/news/xi-jinping-calls-for-sinicization-of-tibetan-buddhism"><strong><span style="color: #000080;">बौद्ध धर्म का चीनी नजरिया</span></strong></a> दुनिया के सामने परोसने की साजिश कर रही है। बौद्ध धर्म की विरासत से भारतीय अधिपत्य को खत्म करने के लिए चीन ने तमाम बौद्ध विश्वविद्यालय खोल दिए हैं। जहां अपने चीनी मंतव्यों को साधने वाली बौद्ध जानकारियां दी जाती हैं। <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/tibet-lives-in-the-heart-of-india-tibet-ready-to-die-for-india-12078.html"><strong><span style="color: #000080;">भारत </span></strong></a>का प्रयास है कि एससीओ की इस बैठक के माध्यम से बौद्ध धर्म की उत्पत्ति, एशिया के विभिन्न देशों में बौद्ध धर्म के प्रसार, बौद्ध धर्म की शिक्षा, बौद्ध धर्म के उद्देश्य और बौद्ध धार्मिक स्थलों की वास्तविकता से दुनिया को अवगत कराया जाए।
रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की अध्यक्षता में हुए एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) के वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ देशों के बीच शांति-संपन्नता स्थापित करने के साथ-साथ आर्थिक-व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ाने सांस्कृतिक सहयोग सुदृढ़ करने के सुझाव दिए थे।
भारत सोमवार से शुरू हो रही शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्रप्रमुखों की बैठक के दौरान स्टार्ट्स अप एंड इन्नोवेशन (नए उद्यम और नवाचार), साइंस और टेक्नोलॉजी के अलावा ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में परस्पर सहयोग और संबंध मजबूत करने का पक्षधर है।
चीन और पाकिस्तान की ओर से सीमाओं पर लगातार हो रही उकसावे की कार्रवाईयों के बावजूद भारत ने न केवल शंघाई सहयोग संगठन को बल्कि दुनिया को शांति और सहयोग का संदेश दिया बल्कि शंघाई सहयोग संगठन की मजबूती के लिए तमाम प्रयास किए हैं। चीन तिब्बत में बौध धर्मावलंबियों पर दमन चक्र चला रहा है। दूसरी ओर उसकी कोशिश दुनिया की आंखों में धूल झोंकना है।
चीन अपने कठपुतली धर्म गुरुओं को आगे कर तिब्बतियों की आस्था पर चोट भी कर रहा है। इन परिस्थितियों में भारत ने आगे आकर शंघाई सहयोग संगठन के माध्यम से दुनिया को बौध धर्म की सच्चाई से अवगत कराने का फैसला किया है। ध्यान रहे, चीन के अलावा पाकिस्तान में भी बौध धर्म के अतिमहत्वपूर्ण स्थल मन्थल बुद्ध रॉक और हुंजा की पवित्र चट्टान अभी तक मौजूद है। बौद्ध काल का तक्षशिला तो इस्लामाबाद से महज 35 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा कुछ अन्य महत्वपूर्ण स्थलों में धर्मराजिका स्तूप और मठ, भीर टीला (600-200 ईसा पूर्व), सिरकप, जंडियाल मंदिर और जुलियन मठ भी पाकिस्तान में हैं।
शंघाई सहयोग संगठन के राष्ट्र प्रमुखों की बैठक के दौरान आयोजित होने वाली बौद्ध विरासत प्रदर्शनी में इन स्थलों पर भी रोशनी डाली जाने की संभावना है।.