दुनिया भर में सेक्स डॉल्स की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। लोग आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस टेक्नोलॉजी वाली सिलिकॉन से बनी रोबोट सेक्स डॉल्स को अपना जीवनसाथी बना रहे है। कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन में इसकी मांग में तेजी आई है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस ये रोबोट डॉल्स बातें भी करती है। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान और चीन समेत दुनिया भर में लोग सेक्स डॉल्स का इस्तेमाल कर रहे है। एक सेक्स डॉल की कीमत 1.8-2 लाख रुपये के बीच होती है।
सेक्स डॉल्स की बढ़ती मांग के कारण यह इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। चीन, सेक्स डॉल्स बनाने का बड़ा अड्डा है। वहीं भारत में भी इसकी मांग में इजाफा देखा गया है। सेक्स टॉयज, जो भारतीय कानूनों के तहत गैरकानूनी माने जाते है, लेकिन हालिया इंटरनेट ट्रेंड्स को देखें तो ये टॉयज अब आसानी से ऑनलाइन शॉपिंग के जरिए लोगों के बीच अपनी जगह बना रहे है। लोग सेक्स और इससे जुड़े प्रॉडक्ट्स को ओपन मार्केट में खरीदने के बजाय ऑनलाइन मंगाना ज्यादा अनुचित समझते है।
सेक्स डॉल्स इंटरनेशनल प्रॉडक्ट है। इसलिए इसमें कस्टम ड्यूटी और टैक्स ज्यादा देना पड़ा है। जिसके बाद इंटरनेशनल कुरियर के जरिए इन्हें घर भेजा जाता है। इसके अलावा, घर पर इन्हें रिसीव करने में दिक्कत हो तो कस्टमर इन्हें बुक करने के बाद बताए गए पिकअप पॉइंट से भी हासिल कर सकते है। आपको बता दें कि देश में सेक्स टॉयज की ब्रिकी आईपीसी के सेक्शन 292 (1) के तहत गैरकानूनी है। पहली बार कसूर साबित होने पर 2 साल की सजा, जबकि इसके बाद दोषी ठहराए जाने पर 5 साल तक की सजा का प्रावधान है। बावजूद इसके एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में गैरकानूनी ढंग से सेक्स टॉयज की बिक्री का सालाना मार्केट 1200 से 1300 करोड़ रुपये का है।