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स्कूलों में बैन हुई ‘कृपाण’, सिखों का फूटा गुस्सा, कहा- किसी धर्म की पवित्रता पर दांव न लगाएं

स्कूलों में बैन हुई 'कृपाण'

ऑस्ट्रेलिया के सरकारी स्कूलों में सिखों के पवित्र 'कृपाण' को रखने से बैन लगा दिया गया है। जिसके बाद अकाल तख्त ने इस पर नाराजगी जताते हुए ऑस्ट्रेलिया सरकार से इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है। कृपाण पर बैन लगाने को लेकर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी ने विदेश मंत्रालय और ऑस्ट्रेलिया में मौजूद भारत के उच्चायुक्त को पत्र लिख कर खेद जताया है।

दरअसल, ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े राज्य न्यू साउथ वेल्स के सरकारी स्कूलों में 'कृपाण' पर प्रतिबंध लगाया गया है। जिसके बाद SGPC ने कृपाण पर बैन लगाने को लेकर विदेश मंत्रालय और ऑस्ट्रेलिया में मौजूद भारत के उच्चायुक्त को पत्र लिखा है। पत्र में इसे तत्काल रद्द करने की मांग की गई है, क्योंकि ये सिखों की धार्मिक भावना से जुड़ा हुआ मामला है। स्कूलों में कृपाण नहीं पहनने पर लगने वाला बैन आज से प्रभावी हो रहा है।

अकाल तख्त ने जताई आपत्ति

अकाल तख्त ने इसे अनावश्यक करार दिया है, बैन को लागू करने से पहले किसी भी सामुदायिक परामर्श नहीं लेने के चलते ऑस्ट्रेलियाई सरकार की जमकर आलोचना की है। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि ऑस्ट्रेलियाई शिक्षा मंत्री सारा मिशेल का फैसला पूरी तरह से अपरिपक्व है। सिख प्रतीकों की पहचान को लेकर लड़ने के लिए सिख संगठनों को एकजुट होना चाहिए। सिख भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले अपने फैसले की सरकार को समीक्षा करनी चाहिए।

सिख समुदाय की पवित्रता दांव पर न लगाएं: SGPC की अध्यक्ष

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी (SGPC) की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर ने कहा कि एक घटना के आधार पर समुदाय की पवित्रता को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। कृपाण सिख समुदाय के लिए पवित्र है। इसकी तुलना कभी भी चाकू या खंजर से नहीं की जा सकती है। शिक्षा मंत्री ने दो सिख सदस्यों के साथ एक ऑनलाइन बैठक करने के अलावा सिख समुदाय के नेताओं के साथ कोई चर्चा नहीं की। और इसके तुरंत बाद कृपाण पर बैन लागू कर दिया गया। उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से आग्रह किया कि वो इस फैसले को जल्द से जल्द वापस ले।

क्या है मामला

दरअसल, ये बैन सिडनी के एक स्कूल में हुई घटना के बाद लगाया गया है। एक 14 वर्षीय सिख छात्र को स्कूल में कुछ छात्रों द्वारा धमकाया और दुर्रव्यवहार किया जा रहा था। इसके जवाब में बचाव के लिए उसने अपने कृपाण का प्रयोग किया और एक छात्र को घायल कर दिया, जिसके बाद यह फैसला लिया गया।