सूरज के दक्षिणी हिस्से में सोलर स्टॉर्म आने की खबर सामने आ रही है। इसकी जानकारी अमेरिका की नेशनल ओशैनिक ऐंड अटमॉस्फीयर अथॉरिटी के स्पेस वेदर एक्सपर्ट्स ने दी। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ये सोलर स्टॉर्म पार्टिकल 500 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से स्पेस में चल रहे है और अब तक सूरज से 15 करोड़ किमी दूर निकल चुके है। आपको बता दें कि सोलर स्टॉर्म एक तरह का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी होती है जो सूरज की सतह से निकलता है। अब वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में पृथ्वी पर ऐसे ही कई सोलर स्टॉर्म देखने को मिलेंगे।
वैज्ञानिकों की मानें तो पृथ्वी पर इसका खतरनाक असर पड़ने वाला है। पृथ्वी पर इन सोलर स्टॉर्म की वजह से पावर ग्रिड और कम्युनिकेशन चैनलों पर भी असर पड़ने वाला है। सोलर स्टॉर्म के दौरान सूरज की सतह से 'एनर्जी का गुब्बार' फूटता है। वैज्ञानिकों का कहना है सूरज पर लंबे समय तक ऐसी स्थिति नहीं देखने के मिली थी, लेकिन अब यह एक बार फिर शुरू हो चुका है। आपको बता दें कि साल 2020 में ही सोलर साइकिल शुरू हो चुका था। सोलर स्टॉर्म की वजह से इंसानों पर भी असर पडे़गा।
ये इंसानों के नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से कई अंग काम करना बंद कर देते है और आखिर में इंसान की मृत्यु हो जाती है। सोलर स्टॉर्म और कार्डियोवस्कुलर बीमारियों के बीच संबंध को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि सोलर स्टॉर्म से कई तरह के नुकसानदेह रेडिएशन निकलते है। इससे कई अंग काम करना बंद कर देते है। रेडिएशन से स्किन की कई बीमारियां होती है। कुछ मामलों में तो ये कैंसर का कारण भी बन जाती है और कुछ मामलों में इंसानों की मृत्यु भी हो जाती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के रेडिएशन एक्सपोजर के दौरान प्लेन चलाते समय पायलटों को भी मोतियाबिंद का खतरा होता है। कई बार तो फ्लाइट के रूट भी बदलने पड़ जाते है। क्रू मेंबर्स के साथ-साथ यात्रियों को भी खतरा बना रहता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के सोलर स्टॉर्म की वजह से सैटेलाइटों पर भी असर पड़ता है। इस बात की भी संभावना है कि पावर ग्रिड में खराबी की वजह से पूरे शहर में ब्लैकआउट की स्थिति देखने को मिल सकती है। सोलर स्टॉर्म भी पावर ग्रिड में बिजली प्रवाह पर असर डालते है। इसे ट्रांसफॉमरों के फटने का भी खतरा बना रहता है। ऑयल और गैस पाइपलाइन पर असर पड़ता है।