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Space Debris: अंतरिक्ष से भारत की धरती पर गिरे रहस्यमई गोले, गुजरात के गांवों में मचा हड़कंप

Space Debris

गुजरात से एक चौंका देने वाली खबर सामने आ रही है। दरअसल, गुजरात के कई गांवों में एक ऐसा मलबा मिल रहा जिसके बारे में बताया जा रहा क‍ि वह अंतर‍िक्ष से नीचे ग‍िरा है। अभी तक तीन से पांच जिलों में ये मलबा मिल चुका है। हाल ही में वडोदरा के तीन गांवों में ऐसा मलबा मिला है। गेंद के आकार के इस मलबे को देखकर हर कोई हैरान है।भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) इनकी जांच करेगा।

सबसे पहले 12मई को आनंद के भालेज, खंभोलज और रामपुरा गांवों से खबर आई क‍ि अंतरिक्ष से कुछ ग‍िरा है। इसके बाद 14मई को खेड़ा जिले के चकलासी गांव में इसी तरह वस्‍तु पाई गई। इनमें से कुछ मलबे धातु की गेंदों के तरह हैं। वडोदरा जिले के सावली गांव में 14मई की रात भी ऐसी ही गेंद मिली। तीनों जिलों के पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अंतरिक्ष मलबे से किसी के हताहत होने या मौत की खबर नहीं है। स्थानीय फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्रीज (एफएसएल) के विशेषज्ञों ने उन बायोहैजर्ड्स के क्षेत्रों की भी जांच की जो मनुष्यों, जानवरों या पौधों के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।

फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय की टीम जाएगी

ग्रामीण वडोदरा के एसपी रोहन आनंद ने कहा कि वे सावली में मिले वस्तुओं को आगे के निरीक्षण के लिए गांधीनगर में फोरेंसिक विज्ञान निदेशालय (डीएफएस) को भेजेंगे। आणंद के एसपी अजीत राजियन ने कहा कि जिले के तीन गांवों में मिली गेंदें उच्च घनत्व वाली धातु मिश्र धातुओं से बनी हुई लगती हैं जिनका उपयोग रॉकेट छोड़ने के समय किया जाता है। उन्होंने कहा कि पृथ्वी के वायुमंडल में फिर से प्रवेश करने पर कम घनत्व वाले हिस्से जल जाते हैं, उच्च घनत्व वाले हिस्से उच्च तापमान का सामना कर सकते हैं और अगर वे कक्षा से बाहर हो जाते हैं तो जमीन पर दुर्घटनाग्रस्त हो सकते हैं। खेड़ा के एसपी राजेश गढ़िया ने अहमदाबाद मिरर को बताया कि विभाग अहमदाबाद में भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) में वैज्ञानिकों के संपर्क में है जो अंतरिक्ष विभाग के तहत एक स्वायत्त संस्थान है ताकि अज्ञात वस्तुओं का विश्लेषण और पहचान की जा सके।

हम मलबे के बारे में क्या जानते हैं?

स्थानीय पुलिस के अनुसार, 12मई को शाम करीब 4.45बजे पहली बड़ी, काली धातु की गेंद जिसका वजन लगभग पांच किलोग्राम था, आणंद के भलेज गांव में आसमान से गिरी। उसके बाद दो अन्य गांवों – खंभोलज में दो समान टुकड़े गिरे और रामपुरा से भी सूचना आई। तीन गांव 15किलोमीटर के दायरे में स्थित हैं, जिनमें से एक टुकड़ा चिमनभाई के खेत में ग‍िरा। 14मई को भी इसी तरह के गोले के आकार का मलबा भालेज से करीब 8किलोमीटर दूर आणंद के चकलासी गांव में सामने आया था।

हालांकि भारतीय अधिकारियों ने यह पता लगाने के लिए कोई बयान जारी नहीं किया है कि यह क्या हो सकता है, हार्वर्ड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के खगोलशास्त्री जोनाथन मैकडॉवेल ने ट्वीट किया कि यह संभवतः चांग झेंग 3बी सीरियल Y86 – चीन के कक्षीय प्रक्षेपण वाहन के पुन: प्रवेश का मलबा हो सकता है। Aerospace.org ने भी इसकी भविष्यवाणी करते हुए कहा था कि प्रक्षेपण यान 12मई को लगभग 10.37बजे (IST) पृथ्वी के अंतरिक्ष में फिर से प्रवेश करेगा। ये मलबा उसी का हो सकता है।

अंतरिक्ष मलबा क्या है?

अंतरिक्ष मलबे में प्राकृतिक अंतरिक्ष मलबे जैसे उल्कापिंड, या मानव निर्मित पाए जा सकते हैं, जिनमें निष्क्रिय अंतरिक्ष यान और उपग्रह शामिल हो सकते हैं। नासा के मुताबिक, अंतरिक्ष मलबे के रूप में 10 सेमी से बड़ी 25,000 से अधिक वस्तुओं का अस्तित्व ज्ञात है और 1से 10सेमी व्यास के बीच कणों की अनुमानित आबादी लगभग 500,000है। नासा के अनुमानों के अनुसार जनवरी 2022तक, पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली सामग्री की मात्रा 9,000मीट्रिक टन से अधिक थी।