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तमिलनाडु के कुलसेकरपट्टिनम में नये Spaceport को केंद्र की मंज़ूरी  

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

Spaceport Approved:विभाग द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया है कि सरकार ने ISRO द्वारा विकसित छोटे Small Satellite Launch Vehicles (SSLV) के प्रक्षेपण के लिए तमिलनाडु के कुलसेकरपट्टिनम में एक नए Spaceport की स्थापना के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।  

इससे पहले ISRO प्रमुख ने इस साइट का दौरा करने के बाद कहा था, “कुलसेकरपट्टिनम एक सुपर लोकेशन है। यहां से प्रक्षेपित उपग्रह सीधे दक्षिणी ध्रुव तक जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को औपचारिक मंज़ूरी मिलने के बाद नए Spaceport के निर्माण पर काम शुरू हो जायेगा।

कुलसेकरपट्टिनम में एक अंतरिक्षयान ISRO को एक रणनीतिक लाभ प्रदान करेगा, क्योंकि तटीय गांव से लॉन्च किए गए छोटे उपग्रह श्रीलंका से बचने के लिए पहले दक्षिण-पूर्व की ओर जाने के बिना सीधे दक्षिणी ध्रुव तक उड़ान भर सकते हैं, इसे श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाना है। यह युद्धाभ्यास श्रीलंका की भूमि पर किसी भी मलबे को गिरने से रोकने के लिए किया गया है।

केंद्रीय परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा, “भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 को मंज़ूरी दे दी गयी है और सार्वजनिक डोमेन में जारी कर दिया गया है। नीति अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में ग़ैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) की बढ़ी हुई भागीदारी के लिए क्षेत्र को खोलती है, जबकि विभिन्न पक्षों,यानी IN-SPACe, ISRO, NSIL and DOS की भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से चित्रित करती है।  ।

उन्होंने बताया, “भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 में तकनीकी व्यवहार्यता और सीमा सुरक्षा बाधाओं के अधीन ग़ैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीई) द्वारा लॉन्च गतिविधियों को पूरा करने के लिए स्पेसपोर्ट के उपयोग का एक प्रावधान है।”

राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार ने अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने और प्राधिकरण के लिए एकल-खिड़की एजेंसी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) की स्थापना की है। 2023-24 के लिए IN-SPACe के लिए बजट आवंटन 2022-23 में 33 करोड़ रुपये से बढ़कर 95 करोड़ रुपये हो गया है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि Laser Interferometer Gravitational Wave Observatory – India (LIGO-India) परियोजना को भारत परमाणु ऊर्जा विभाग प्रमुख एजेंसी के रूप में सरकार द्वारा अनुमानित 2,600 करोड़ की लागत पर मंज़ूरी दे दी गयी है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद LIGO-India को गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने और खगोल विज्ञान के संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रीय सुविधा के रूप में संचालित किया जायेगा।