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पूर्वी लद्दाख में 35 हजार अतिरिक्त जवानों के लिए विशेष कपड़े, आहार और रहने का प्रबंध

पूर्वी लद्दाख में 35 हजार अतिरिक्त जवानों के लिए विशेष कपड़े, आहार और रहने का प्रबंध

चीन के साथ जारी गतिरोध का समाधान नहीं हुआ है। इसे देखते हुए भारतीय सेना 12,000 फीट की ऊंचाई और शून्य से 50 डिग्री नीचे तापमान में कठोर जलवायु की परिस्थितियों के बीच जवानों के लिए उचित व्यवस्था करने संबंधी चुनौतियों के लिए तैयार है।

पूर्वी लद्दाख में तैनात लगभग 35,000 अतिरिक्त जावनों के लिए विशेष कपड़े, आहार और शेल्टर (आश्रय) की आवश्यकता पड़ने वाली है। लद्दाख में पैंगॉन्ग झील और गलवान घाटी जैसी जगहों पर ही ज्यादातर झड़पें हुई हैं, जो समुद्र तल से 14,000 फीट ऊपर हैं।

बढ़ाई गई तैनाती के लिए फोर्स उन्हें सर्दियों के विशेष कपड़े उपलब्ध कराने और देखभाल के लिए लगभग 400 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है। कठोर सर्दियों से जूझने के लिए प्रति सैनिक विशेष कपड़े की लागत लगभग 1 लाख रुपये है।

एक अधिकारी ने कहा, "इन क्षेत्रों में संचालन के लिए कपड़े और आश्रय की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, एक विशेष वस्त्र और पर्वतारोहण उपकरण (एससीएमई) की जररूत होती है, हर सैनिक को लगभग 1 लाख रुपये की लागत वाला सेट उपलब्ध कराया जाता है।"

एससीएमई सेट में स्नो क्लॉदिंग (बर्फ पड़ने पर पहने जाने वाले कपड़े) और कठोर मौसम के बीच रहने के लिए पर्वतारोहण उपकरण और टेंट शामिल हैं। अधिकारी ने कहा, "हल्के, थर्मल, वाटरप्रूफ, आराम से सांस ली जा सके, जैसी विशेषताओं से युक्त उपकरण उच्च गुणवत्ता वाले हैं।"

सर्दियों के कपड़ों और गियर में तीन लेयर वाले विशेष जैकेट और पतलून, जूते, स्नो गॉगल्स, फेसमास्क, रकसैक (थैला) और अन्य शामिल हैं। तापमान नियंत्रित विशेष टेंट और प्री-फैब्रिकेटेड हट भी उपलब्ध कराए गए हैं। लद्दाख में कड़ाके की सर्दी और कम ऑक्सीजन लेवल के बीच ये अनुकूल तापमान बनाए रखते हैं।

ऊंचाई वाले क्षेत्रों में काम करने वाले जवान एनोरेक्सिया से पीड़ित होते हैं, एक ऐसा सिंड्रोम जिसके कारण भूख कम लगती है। सैनिकों के स्वाद को ध्यान में रखते हुए यह विशेष प्रावधान भोजन के सेवन को बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "भारतीय सेना अपने सैनिकों को भूख से होने वाले नुकसान और भोजन की कमी को पूरा करने के लिए उच्च कैलोरी और पोषक तत्वों से युक्त विशेष आहार प्रदान करती है।"

भारतीय सेना में सैनिकों को मिलने वाले राशन को वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया है और इसे पर्याप्त पोषक तत्व प्रदान करने और दैनिक दिनचर्या, प्रशिक्षण और विभिन्न इलाकों में काम करने के हिसाब से तैयार किया गया है। अधिकारी ने कहा, "राशन 9,000 फीट से नीचे और 9,000 फीट से 12,000 फीट के बीच और 12,000 से अधिक ऊंचाई पर सेवा देने वाले सभी रैंकों के लिए अलग-अलग पैमाने पर अधिकृत हैं।"

साल 1984 में सियाचिन में तैनात सैनिकों के लिए एक विशेष पैमाने पर राशन पेश किया गया था। सियाचिन में तैनात सैनिकों के अनुभव के आधार पर अगले कुछ वर्षों में राशन के पैमानों में और सुधार किया गया। 2010 में विशेष राशन पैमाने को उन सभी सैनिकों के लिए अधिकृत किया गया, जो 12,000 फीट और उससे ऊपर तैनात हैं।.