कोरोना (Corona) के चलते अनाथ हुए बच्चों की मदद के लिए सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश जारी किए है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से ये सुनिश्चित करने को कहा है कि कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को भोजन, दवा, कपड़े, शिक्षा आदि की देखभाल की जाए। साथ ही, कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी इस बात की जानकारी मांगी है कि वो बच्चों तक अपनी सहायता किस तरह से पहुंचाएगी। कोर्ट (Supreme Court) ने सरकारों को साफ किया कि जो बच्चा सरकारी या प्राइवेट स्कूल, जहां पर भी पढ़ रहा है, उसकी पढ़ाई वहीं पर जारी रहनी चाहिए।
इन बच्चों को राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी वित्तीय सहायता देगी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अनाथ हुए सभी बच्चों को तुरंत खाना, दवाई और कपड़े मुहैया कराए जाएं। साथ ही, जिन बच्चों के गार्जियन उन्हें रखने में सक्षम नहीं हैं, उन बच्चों को अभी बाल कल्याण समिति (CWC) को सौंपा जाए। इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के वेब पोर्टल 'बाल स्वराज' में उन बच्चों की जानकारी अपडेट करने को कहा था, जिन्होंने पिछले साल मार्च से लेकर अब तक कोरोना के चलते अपने माता पिता या दोनों में से एक को खोया है।
5 जून तक वेबसाइट पर डाले गए आंकड़ों के हिसाब से इस तरह के 30,071 बच्चों की जानकारी सामने आई है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 30 हजार बच्चों के पैरेंट्स की मृत्यु कोविड-19 महामारी के कारण हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे बच्चों का पता लगाकर लगातार वेबसाइट अपडेट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बच्चे अनमोल धरोहर हैं, इसलिए किसी भी कारण से उनका भविष्य खराब नहीं होना चाहिए। अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों को इसके लिए स्पष्ट आदेश दिए।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को जबर्दस्त लताड़ लगाई थी और कहा कि राज्य सरकार अनाथ हुए बच्चों की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड नहीं कर रही है जो चिंता का विषय है। उसने कहा कि राज्य सरकार सर्वोच्च अदालत के आदेश का फैसला नहीं समझ पाने का बहाना बना रही है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के प्रतिनिधि से कहा कि सभी राज्यों ने जानकारी मुहैया करा दी है तो फिर सिर्फ प. बंगाल को ही कन्फ्यूजन क्यों हो रहा है। अदालत ने राज्य से अनाथ बच्चों की जानकारी तुरंत वेबसाइट पर अपडेट करने का आदेश दिया था।