आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 32 बच्चों को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से नवाजा। इन सभी बच्चों ने अपनी बाहुदरी से कई जानें बचाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी बहादुर बच्चों को सम्मानित किया। प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पाने वालों से मुखातिब भी हुए। आइए आपको बताते हैं कि बहादुरी के लिए सम्मान पाने वाले ये बच्चे कौन हैं और इन्होंने क्या किया है।
कामेश्वर जगन्नाथ वाघमारे: दो बच्चों को डूबने से बचाया
कामेश्वर महाराष्ट्र से हैं। जब कामेश्वर जगन्नाथ ने देखा की नदी की धार में तीन बच्चे डूब रहे हैं तो अपनी जान की परवाह किए बिना में वो नदी में कुद पड़े और बच्चों को बाहर निकाला। दो बच्चों को बचाने में वह कामयाब रहे मगर तीसरे ने दम तोड़ दिया। इस बात का मलाल कामेश्वर को आज भी है। उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी सम्मानित कर चुके हैं।
कुंवर दिव्यांश सिंह: जान पर खेल कर बचाई बहन की जिंदगी
उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में रहने वाले कुंवर दिव्यांश सिंह की उम्र महज 13 साल है। मगर उनकी हिम्मत काफी बड़ी है। वह एक दिन स्कूल से वापस लौट रहे थे। साथ में उनकी छोटी बहन और कुछ बच्चे और थे। एक सांड ने उन सबपर हमला कर दिया। छोटी बहन को फंसा देख दिव्यांश ने अपने बैग को हथियार बनाया और सांड से भिड़ गए। आखिर में वह सांड को वहां से भगाने में कामयाब रहे। दिव्यांश को उनके इस कारनामे के लिए प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले। इस साल उन्हें राष्ट्रीय बाल पुरस्कार में 'बहादुरी' कैटेगरी में सम्मान मिला है।
ज्योति कुमारी: बीमार पिता को घर ले जाने के लिए 1200KM चलाई साइकिल
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में जब लॉकडाउन लगा, उस वक्त ज्योति कुमार गुरुग्राम में रहती थीं। पिता बीमार थे। यहां काम-धंधे का कुछ इंतजाम था नहीं तो भूखों मरने की नौबत आ गई। ज्योति ने हिम्मत दिखाई। बीमार पिता को पीछे बिठाया और एक सेकेंड-हैड साइकल के पेडल मारने शुरू किए। मंजिल थी बिहार का दरभंगा जिला। ज्योति लगातार सात दिन तक साइकल चलाती रहीं। बीच-बीच में कहीं आराम करतीं। करीब 1,200 किलोमीटर का यह सफर जब पूरा हुआ तो ज्योति पूरे देश की मीडिया में छा चुकी थीं। ज्योति की तारीफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ने भी की थी। उनपर फिल्म बनाने की तैयारियां थी।