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मरने के बाद दफनाने को जमीन नसीब नहीं, 15 साल बाद मुस्लिम से फिर हिन्‍दू बना तीन परिवार, देखें रिपोर्ट

मरने के बाद दफनाने को जमीन नसीब नहीं

उत्‍तर प्रदेश के शामली के मोहल्ला रायजादगान के तीन परिवारों के 18 मुस्लिम लोगों ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ हिन्दू धर्म में वापसी कर ली है। यह परिवार बंजारा समुदाय से आता है। इन परिवारों को मृतकों को दफनाने की जमीन तक नसीब नहीं हुआ। जिसके बाद ये मुस्लिम से हिंदू होने का फैसला किया। रायजादगान के मजरा डंगडूगरा में बंजारा जाति के कई परिवार दशकों से निवास कर रहे हैं।

बताया जाता है 15 साल पहले इन्होंने दूसरा धर्म अपना लिया था। पिछले दिनों इनमें से राशिद उर्फ विकास अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ हिन्दू धर्म में वापसी करते हुए शामली में अधिकारियों के समक्ष शपथपत्र के साथ घोषणा की थी। 4 अगस्त को राशिद और परिवार के 13 सदस्यों ने सूरजकुंड मंदिर में हुए 'शुद्धि समारोह' में हिंदू धर्म अपना लिया। इनमें राशिद की पत्नी मंजू बानो और उनके 4 बच्चे शामिल हैं। राशिद के भाई आदिल और दीपक भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ परिवर्तित हो गए। तीन बहनों और मां-बाप को लेकर यह संख्या 18 हो गई।

RSS के स्वयंसेवक रिक्की रावत ने कहा कि हमने बंजारा समुदाय के और भी लोगों का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें जमीन मुहैया कराने के लिए प्रशासन को पत्र लिखा है। वहीं बीजेपी पार्षद दीपक सैनी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए बंजारों को भविष्य में मुख्यधारा से जोड़ते हुए मृतकों का अंतिम संस्कार कराने की तैयारी की योजना बताते हैं।

रायजादगान निवासी राशिद उर्फ विकास ने महाराज यशवीर को बताया कि पूर्व में जिन लोगों ने सुविधा और भूमि आवंटन के नाम पर धर्म परिर्वतन करा दिया गया था। आरोप है कि उक्त लोगों ने उनके आधार कार्ड, पहचान पत्रों, राशन कार्ड सहित हिन्दू होने के सबूतों को जला दिया था। जिससे परिवार के लोग दर-दर भटक रहे हैं।