जो संन्यासी अपने जैविक पिता के अंतिम समारोह में नहीं गया, जो संन्यासी अपनी जन्मदात्री से पांच कालीदास मुख्यमंत्री निवास पर सिर्फ इसलिए न मिला हो कि उसके संन्यास धर्म में पूर्व संस्कार बाधा न बन जाएं वही संन्यासी मुख्यमंत्री पहाड़ों पर पैदल चल अपनी संन्यास जीवन से पहले की जैविक मां से मिलने पहुचां। मां का बातसल्य आंसुओं के समुंदर की शक्ल ले आंखों से बह निकला तो संन्यासी भी अपनी संवेदनाओं की सीमा तोड़ मां के चरणों में झुक गया।
यूं तो संन्यासी मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी पांच साल पहले भी यहां आए थे, लेकिन वो पुत्र की हैसियत से नहीं, एक वीवीआईपी संन्यासी की हैसियत से। इस बीच कोरोना आया और संन्यासी के जैविक पिता स्वर्ग सिधार गए। आदित्यनाथ योगी संन्यास धर्म की मर्यादा के चलते अपने जैविक पिताके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। अब वो संन्यास जीवन से पहले के परिवार से मिलने पंचूर गांव पहुंचे। पंचूर में आदित्यनाथ योगी के जैविक भाई भाई महेंद्र सिंह बिष्ट के बेटे का मुंडन संस्कार हो रहा है।
महेंद्र सिंह विष्ट महायोगी गुरु गोरक्षनाथ राजकीय महाविद्यालय बिथ्याणी में कार्यरत हैं। मंगलवार की शाम साढ़े पांच बजे बिथ्याणी डिग्री कॉलेज में समारोह के बाद वो करीब एक किमी दूर स्थित अपने घर पहुचें।
बिथ्याणी से गांव जाते समय योगी कुछ देर ठांगर प्राइमरी स्कूल में भी रुके। यहां से योगी कच्ची सड़क से ही अपने घर तक पहुंचे। योगी शाम को न्यूतेर समारोह में शामिल हुए, इस दौरान उन्होंने सभी रिश्तेदारों और परिचितों से बात की। रात को बिष्ट परिवार के आंगन में ढोल दमौ की गूंज रही। बुधवार को बच्चे के बाल लिए जाने के बाद गांव वालों के लिए भोज का आयोजन किया गया है।
यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी के साथ उत्तराखण्ड के सीएम पुष्कर सिंह धामी, मंत्री डा.धन सिंह रावत, विधायक रेनू बिष्ट, ज्येष्ठ प्रमुख दिनेश भट्ट, भाजपा जिलाध्यक्ष संपत्त रावत, डीएम और एसएसपी पौड़ी के साथ ही तीन-चार अन्य लोग ही घर पर गए। बाकी लोगों को घर से काफी पहले पुलिस ने रोक लिया था। हालांकि ढोल-दमाऊं और मशकबीन बजाने वाले उनके साथ-साथ घर तक गए।