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गोली चलाने को लेकर जब पीवी नरसिम्हा राव की सरकार से भिड़ पड़े कल्याण सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री के आदेश पर भी नहीं हुए थे चुप

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यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद 21 अगस्त की देर रात निधन हो गया। 89 साल के कल्याण सिंह पिछले डेढ़ महीने से लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई अस्पताल में भर्ती थे। एक महीने पहले सांस लेने में तकलीफ होने के बाद उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था, जिसके बाद बीते दिन उनकी हालत और बिगड़ गई थी। कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार आज बुलंदशहर के नरौरा राज घाट पर किया जाएगा। कल्याण सिंह की गिनती बीजेपी के प्रखर हिंदुत्ववादी नेता के रूप में होती है।

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कल्याण सिंह राम मंदिर आंदोलन के दौरान पार्टी के यूपी में सबसे मुखर चेहरा थे। राम मंदिर आंदोलन की लहर में साल 1991 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। पार्टी ने मुख्यमंत्री पद के लिए कल्याण सिंह का नाम आगे किया था। कल्याण सिंह यूपी के सीएम बने। कल्याण सिंह की सरकार के सत्ता में रहते ही साल 1992 में कारसेवकों ने बाबरी विध्वंस किया था। कार सेवक जब विवादित ढांचा गिरा रहे थे, कल्याण ने डीजीपी को भी गोली चलाने का आदेश देने से साफ मना कर दिया था।

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कल्याण सिंह ने केवल डीजीपी को ही नहीं, केंद्र की सत्ता पर उस समय काबिज रही पीवी नरसिम्हा राव की सरकार को भी साफ कह दिया था कि कारसेवकों पर गोली नहीं चलाऊंगा, नहीं चलाऊंगा, नहीं चलाऊंगा। कल्याण सिंह ने बाबरी विध्वंस के बाद अपने एक भाषण में इसका जिक्र भी किया था। कल्याण सिंह ने अपने उसी भाषण में 6 दिसंबर 1992 के घटनाक्रम को याद करते हुए कहा था कि दोपहर में केंद्र सरकार के गृह मंत्री एसबी चव्हाण ने मुझे फोन कर कहा कि मैं टीवी देख रहा हूं। कारसेवक बाबरी ढांचे पर चढ़ गए हैं. इस पर मैंने कहा कि मेरे पास इससे एक कदम आगे की सूचना है। कल्याण सिंह ने कहा था कि मैंने केंद्रीय गृह मंत्री से उस समय भी साफ कहा था कि फिर भी कारसेवकों पर गोली नहीं चलाऊंगा, नहीं चलाऊंगा, नहीं चलाऊंगा।