UP Student Made Vegetable Washing Machine: भारत वो देश है जहां के बच्चे-बच्चे में कोई न कोई टैलेंट छुपी होती है। सपनों को सच करने के लिए उम्र मायने नहीं रखता। शिक्षा के साथ ही सही संगत, माहौल और मार्गदर्शन मिल जाए तो बच्चे के विकास में चार चांद लग जाती है और दुनिया में उसके नाम की चर्चा होने में ज्यादा देर नहीं लगती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव मिर्जापुर के 14 साल के बच्चे ने। 11वीं कक्षा के इस बच्चे की तारीफ बड़े से बड़े सांटिस्ट कर रहे हैं। 11वीं कक्षा के इस छात्र ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो किसानों की तकदीर (UP Student Made Vegetable Washing Machine) बदल देगी। इसके लिए बच्चे को IIM की ओर सम्मानित भी किया जाएघा। दरअसल, मिर्जापुर जिले के छात्र ओनम सिंह ने सब्जी धोने (UP Student Made Vegetable Washing Machine) की खास मशीन का अविष्कार किया है। इस मशीन से समय की बचत तो होगी ही साथ ही पानी की बर्बादी भी कम होगी।
किसानों का काम होगा आसान- सब्जी धुलने में होगी आसानी
ओनम सिंह मिर्जापुर जिले के गुरु नानक इंटर कॉलेज के ग्यारहवीं के छात्र हैं। उन्होंने किसानों के लिए खास सब्जी धोने वाली मशीन का निर्माण किया है। इस मशीन के माध्यम से कम समय में ही पानी की बचत के साथ सब्जियां धुल सकेंगी। कुछ दिन पहले ही जिलाधिकारी ने ओनम सिंह के कामों के लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित भी किया था। इसके बाद प्रतिष्ठित आईआईएम अहमदाबाद भी ओनम सिंह को पुरस्कृत करेगा। ओनम सिंह को इस मशीन को बनाने की प्रेरणा एक मित्र से मिली थी, जिसके बाद मेहनत करके खास तरीके की मशीन का निर्माण किया गया है। ओनम सिंह का कहना है कि, एक बार स्कूल जाते वक्त कुछ लोग तालाब के किनारे सब्जियों को धो रहे थे। तभी जमुनहिया के रहने वाले उनके मित्र ने बताया कि, किसानों को मूली और अन्य सब्जियों को धोने में बड़ी परेशानी होती है। जिसके बाद ओनम सिंह लग गये काम पर और करीब दो महीने की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने सब्जी धोने वाली मशीन बना डाली। जिसका खर्च सिर्फ एक हजार रुपये के करीब था। इसमें एक बाल्टी, एक मोटर पम्प, तार, प्लास्टिक की टोकरी, पाइप और नल की टोटी का प्रयोग किया गया है। ओनम सिंह ने कहा कि इसे बड़े स्तर पर लाने के लिए बीएचयू के कृषि वैज्ञानिकों से बात की जा रही है, जहां उनकी मदद से इस मशीन को और बेहतर बनाया जाएगा।
माता-पिता खुश- लेकिन, गांव के बच्चों को संसाधन की कमी
हर बेटे की कामयाबी देख मां-बाप खुश होते हैं। वैसे ही ओनम सिंह की कामयाबी से उनके माता-पिता काफी खुश हैं। उनकी मां पूनम सिंह का कहना है कि, प्रतिभाशाली बेटे की कामयाबी से खुशी चार गुना हो गई है। उनका बेटा पहले से ही पढ़ाई में अव्वल आता है। वो चाहती हैं बेटा इसी तरह से आगे बढ़ता रहे। पिता पेशे से इंजीनिय हैं। वहीं, जिला विज्ञान क्लब के समन्वयक सुशील पाण्डेय ने बताया कि ओनम सिंह नाम के छात्र ने एक सब्जी धोने वाली मशीन का निर्माण किया है। गांव के बच्चों में बहुत हुनर है। उन लोगों को ऐसे कार्यक्रमों की जानकारी नही होती है, जिन्हें पता चलने पर जिले स्तर पर लाया जाता है। ऐसे में संसाधन नहीं होने से बच्चों की मदद नहीं की जाती है। विभाग के द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, लेकिन बजट के अभाव में मदद नहीं हो पाती है।
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