उत्तर प्रदेश के पंचायतों की आरक्षण सूची जारी होने के बाद त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के लिए उम्मीदवारों जोश भर गया है। ग्राम प्रधान, बीडीसी मेंबर और जिला पंचायत सदस्यों के प्रत्याशियों में प्रचार की होड़ लग गई है। हालांकि इन चुनावों में सियासी दल नहीं उतर रहे हैं लेकिन अपने-अपने प्रत्याशियों का समर्थन जरूर कर रहे हैं। ऐसे में अब बीजेपी और कांग्रेस से समर्थन हासिल करने वालों में भी होड़ लगी हुई है।
इससे पहले ऐसा लग रहा था कि उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव एक बार फिर कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसते नजर आ रहे हैं। अब दिलीप कुमार नाम के एक याचीने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। दिलीप कुमार ने कहा है कि वर्ष 2015को आधार वर्ष मानकर उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में सीटों के लिए आरक्षण लागू करने का आदेश उचित नहीं है इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। वास्तव में इस फैसले को लेकर कुछ लोग खुश हैं और कुछ इसके विरोध में हैं। इस व्यवस्था से कई ग्राम पंचायत के समीकरण ही बदल गए हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि हाईकोर्ट में उनका पक्ष नहीं सुना गया। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने वर्ष 2015को आधार वर्ष मानकर प्रदेश में पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू करने का आदेश दिया था और 25मई तक पंचायत चुनाव संपन्न कराने के लिए कहा था।
उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों ने 2015के चक्रानुक्रम को आधार मानते हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की सीटवार संशोधित अनंतिम आरक्षण सूची जारी कर दी गई है। अन्य जिलों में भी सोमवार तक सूची जारी कर दिए जाने की संभावना है। इस संशोधन से प्रदेश भर में सीटों के आरक्षण में भारी बदलाव हुआ है।
सरकार ने हाईकोर्ट के आदेशानुसार जिलाधिकारियों को प्रधानों व क्षेत्र पंचायत प्रमुखों के पदों के आरक्षण तथा जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत वार्डों के आरक्षण व आवंटन की प्रस्तावित सूची 20से 22मार्च तक प्रकाशित किए जाने के निर्देश दिए थे। सीतापुर, अमेठी, रायबरेली, अंबेडकरनगर, अयोध्या, गोंडा-बलरामपुर, श्रावस्ती व बाराबंकी में जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य, ब्लॉक प्रमुख और ग्राम प्रधानों के पदों के लिए आरक्षण का निर्धारण कर शुक्रवार को सूची जारी कर दी गई। शेष की सूची सोमवार को जारी की जाएगी। जिलों के डीएम 23मार्च तक प्राप्त आपत्तियों का 24व 25के बीच निस्तारण करेंगे और 26को अंतिम सूची जारी करेंगे। अगर सुप्रीम कोर्ट दिलीप कुमार की याचिका पर संज्ञान लेता है तो चुनाव फिर से टल सकते हैं।