उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने का असर यूं तो पहले दिन से ही दिखाई देने लगा था लेकिन अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में उसका असर निचले स्तर तक दिखाई दे रहा है। यह योगी सरकार का ही कमाल है कि सपा के संस्थापक-संरक्षक मुलायम सिंह यादव के गांव सैफई में 50 साल बाद कोई गैर यादव यानी दलित ग्राम प्रधान बनने जा रहा है। ध्यान रहे सैफई में पिछले 1971 से 2020 तक केवल एक ही शख्स दर्शन सिंह यादव ही ग्राम प्रधान रहे। बीते साल अक्टूबर में दर्शन सिंह यादव का निधन हो गया था।
सैफई गांव की तस्वीर मुम्बई की तर्ज पर खड़ा करने के पीछे गांव के प्रधान दर्शन सिंह यादव का खास योगदान रहा। बड़े-बड़े मेट्रो शहरों में भी ऐसी सुविधाए नहीं है जो इस गांव में देखने को मिल जाती है।
सैफई को बना दिया मुंबई
सैफई को वीवीआईपी ग्राम पंचायत बनाने के पीछे मुलायम सिंह यादव के मित्र दर्शन सिंह का अहम योगदान रहा। कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद वह सरकारी बाबुओं पर कड़ी नजर रखते थे और गांव के विकास के लिए आए पैसे का हिसाब उनसे लेते थे। वैसे कहा तो यहां तक जाता था कि मुलायम सिंह यादव ने कह दिया था कि जब तक दर्शन सिंह हैं, तब तक कोई दूसरा प्रधान नहीं होगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही। जब तक दर्शन सिंह जिंदा रहे वही सैफई के प्रधान बने रहे। दर्शन सिंह ग्राम पंचायत चुनाव के दौरान ग्राम पंचायत सदस्यों के नाम की मुहर लगा मुलायम सिंह के पास भिजवाते थे और उनकी रजामंदी के बाद वही सभी लोग निर्विरोध निर्वाचित हो जाते थे।
मुलायम और दर्शन सिंह साइकिल पर घूमते थे साथ-साथ
दर्शन सिंह और सपा सरंक्षक मुलायम सिंह बचपन के दोस्त थे। मुलायम सिंह ने जब राजनीति में कदम रखा तो उनके कंधे से कंधा मिलाकर दर्शन सिंह चले। लोहिया आंदोलन के दौरान 15साल की उम्र में मुलायम सिंह सियासत में कूद पड़े। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें अरेस्ट कर लिया और फर्रूखाबाद जेल में बंद कर दिया। इसकी भनक जैसे ही दर्शन को हुई तो उन्होंने जेल के बाहर आमरण अनशन पर बैठ गए थे। इसके चलते जिला प्रशासन को मुलायम सिंह को रिहा करना पड़ा। मुलायम सिंह यादव की ही तरह दर्शन सिंह को भी बचपन से ही पहलवानी का बड़ा शौक था। साल 1967के चुनाव में दर्शन सिंह यादव मुलायम सिंह के साथ साइकिल पर चुनाव प्रचार करते थे और घूम-घूमकर चंदा मांगते थे।
पिछले साल अक्टूबर में दर्शन सिंह की मृत्यु के बाद उनकी बहु मीना को प्रधान की जिम्मेदारी सौंप दी गई, लेकिन अब नई आरक्षण व्यवस्था के तहत कोई दलित ही सैफई का ग्राम प्रधान होगा।