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अमेरिका ने अपाचे-चिनूक के बाद इंडिया को दिया एक और घातक हेलीकॉप्टर, चीन-पाक में मची खलबली

Indian Navy के बेड़े में शामिल हुआ US का घातक MH-60R मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स

भारतीन नौसेना को अनेरिका ने दो मल्टी लो हेलीकॉप्टर्स एमएच-60 आर (MH-60R Multi Role Helicopters) दिए हैं।  भारतीय नौसेना अमेरिकी सरकार से विदेश सैन्य बिक्री के तहत लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित ये 24 हेलीकॉप्टर खरीद रही है। इनकी अनुमानित कीमत 2.4 अरब डॉलर है। इसके आने से भारत की सतह-रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्धक अभियानों की क्षमताएं बढ़ेंगी। भारत सरकार ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ऐतिहासिक यात्रा से हफ्तों पहले फरवरी 2020 में हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी।

सैन डिएगो के नौसेन्य हवाई स्टेशन नॉर्थ आइलैंड में हुए समारोह में अमेरिकी नौसेना ने भारतीय नौसेना को औपचारिक तौर पर हेलीकॉप्टर सौंपे। अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू इसमें शामिल हुए। संधू ने कहा कि सभी मौसमों में काम करने वाले मल्टी रोल हेलीकॉप्टरों का बेड़े में शामिल होना भारत-अमेरिका द्विपक्षीय रक्षा संबंधों में महत्वपूर्ण कदम है।

MH-60R हेलीकॉप्टर की अधिकतम स्पीड और क्रूज स्पीड क्रमशः 267 किमी/घंटा और 168 किमी/घंटा है। इसकी रेंज 834 किमी है। ये हेलीकॉप्टर 8.38m/s की ऊपर की तरफ बढ़ सकता है। इसका वजन लगभग 6,895KG है और अधिकतम वजन 10,659KG है। इस हेलीकॉप्टर्स की उपयोगिता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका के अलावा ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, डेनमार्क, सऊदी अरब के पास भी ये हेलीकॉप्टर्स मौजूद हैं।

भारतीय राजदूत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, भारत अमेरिका की दोस्ती नई ऊंचाइयां छू रही हैं। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय रक्षा व्यापार पिछले कुछ वर्षों में 20 अरब डॉलर से अधिक तक फैल गया है। रक्षा व्यापार के अलावा भारत और अमेरिका रक्षा मंचों के सह-विकास पर भी साथ मिलकर काम कर रहे हैं। संधू ने हाल के समय में रक्षा क्षेत्र में भारत द्वारा उठाए सुधारात्मक कदमों का जिक्र किया जिससे विदेशी निवेशकों के लिए नए अवसर पैदा हो गए हैं।

इस MRH के शामिल होने से भारतीय नौसेना की थ्री डायमेंशन क्षमताएं बढ़ेंगी। इसे कई आधुनिक उपकरण और हथियारों से लैस किया जाएगा। भारतीय चालक दल का पहला बैच अभी अमेरिका में प्रशिक्षण ले रहा है। MH-60R मल्टी रोल हेलीकॉप्टर्स सभी मौसमों में उड़ान भर सकेगा। इसके आने से भारत की सतह-रोधी और पनडुब्बी रोधी युद्धक अभियानों की क्षमताएं बढ़ेंगी। भारत इन क्षमताओं का इस्तेमाल क्षेत्रीय खतरों से निपटने और अपने देश की रक्षा को मजबूत करने के तौर पर करेगा।