दिल्ली पुलिस ने बड़ा साजिश का पर्दाफाश किया है। डासना के देवी मंदिर के मंहत यति नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या करने आए जैश-ए-मोहम्मद का आतंकी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किया गया आतंकी कश्मीर का है और उसका नाम जॉन मोहम्मद डार उर्फ जहांगीर है। दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने बताया कि आरोपी को महंत नरसिंहानंद सरस्वती की हत्या का कॉन्ट्रैक्ट पाकिस्तान में बैठे जैश के एक आतंकी ने दिया था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सोमवार (मई 17, 2021) को जान मोहम्मद डार उर्फ़ जहाँगीर को पहाड़गंज के एक होटल से दबोचा। उसके पास से भगवा कपड़ा भी बरामद हुआ है।
खुफिया एजेंसी के मुताबिक कश्मीर के रहने वाले आरोपी जॉन मोहम्मद डार उर्फ जहांगीर साधु के वेशभूषा में स्वामी यति नरसिंहानंद सरस्वती को मारने वाला था. गिरफ्तार आरोपी को पाकिस्तान आधारित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी ने टारगेट किलिंग का आदेश दिया था. गिरफ्तार आरोपी के पास से पिस्टल, 2 मैगजीन, 15 कारतूस, भगवा रंग का कुर्ता, कलावा, पूजा में इस्तेमाल होने वाला टीका और साधुओं के पहनने वाले कपड़े और समान बरामद किए गए हैं.
उसने पूछताछ में आबिद नाम के अपने एक आका के बारे में बताया है, जो उसे पाकिस्तान से निर्देशित कर रहा था। व्हाट्सएप्प के जरिए वह उसके संपर्क में रहता था। आबिद ने उसे महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती का एक वीडियो दिखाया था और फिर उनकी हत्या के लिए भड़काया था। इसके लिए जहाँगीर को हथियार चलाने की ट्रेनिंग भी दिलवाई गई थी। आबिद ने काम हो जाने पर रुपए देने की बात भी कही थी। जहाँगीर अप्रैल 23, 2021 को ही कश्मीर से दिल्ली के लिए निकला था। दिल्ली में उमर नाम का एक शख्स उसका इंतजार कर रहा था, जिससे उसकी मुलाकात होनी थी। उमर और जहाँगीर टेलीग्राम के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में थे। उमर ने ही दिल्ली में उसके लिए ठहरने की व्यवस्था करने का जिम्मा उठाया था। जहाँगीर जब दिल्ली के लिए निकला, उसी दिन उसके बैंक खाते में 35,000 रुपए भी डाले गए थे।
जान मोहम्मद डार उर्फ़ जहाँगीर पुराना दहशतगर्द है और 2016 में पत्थरबाजी के मामले में वो अनंतनाग में गिरफ्तार भी किया गया था। आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद उसने भारतीय सेना पर पत्थरबाजी की थी। अक्टूबर 2019 में युसूफ खान और हाशिम अली ने जिस तरह कमलेश तिवारी की हत्या की थी, उसी तर्ज पर जहाँगीर की भी तैयारी थी। फ़िलहाल ये दोनों भी जेल में बंद हैं। दोनों भगवा कपड़ा पहन बातचीत के बहाने तिवारी के दफ्तर में घुसे थे।