कोरोना काल के दौरान नेपाली प्रवासियों को वैक्सीन नहीं लगाने पर हईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है। बुधवार को जनहित याचिका के रूप में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से तीन सप्ताह में नेपाल मूल के प्रवासियों का वैक्सीनेशन नहीं करने पर जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने बुधवार को कोरोना महामारी के दौरान नेपाली प्रवासियों को वैक्सीन नहीं लगने के मामले को 'इन री-वेक्सीनेशन ऑफ नेपाली मजदूर' के नाम से दायर जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार किया है। अदालत का कहना है कि उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों पर नेपाल मूल के प्रवासी काम कर रहे हैं। ये प्रवासी अधिकतर सामान एक से दूसरे स्थान पर पहुंचा रहे हैं।
लेकिन सरकार ने अब तक इन्हें कोरोना वैक्सीन लगाए जाने के संबंध में कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। इस पर सरकार की तरफ से कोर्ट को अवगत कराया गया कि यह मामला केंद्र सरकार से भी संबंधित है, इसलिए उनको भी पक्षकार बनाया जाय। कोर्ट ने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी कर केंद्र और राज्य सरकार को तीन सप्ताह में इस मामले में विस्तृत जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले अगली सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद होगी।