उत्तराखंड के चमोली में तपोवन-विष्णुगाड हाईड्रो पावर प्रोजेक्ट की सुरंग नंबर एक में 34 लोग रविवार सुबह से फंसे हुए हैं। 1.6 किलोमीटर लंबी, तकरीबन 25 फुट चौड़ी और करीब इतनी ही ऊंचाई वाली सुरंग में अब तक मलबा ही मलबा भरा मिला है। राहत और बचाव में जुटे कर्मचारी इस कोशिश में हैं कि जल्द से जल्द मलबे को हटाकर उनतक पहुंचा जा सके। हर गुजरते पल के साथ उनके जिंदा होने की संभावना भले ही कम हो रही हो, लेकिन मन में किसी चमत्कार की आस बढ़ती जाती है।
यह भी देखें- चीन के पास सिर्फ तीन रास्ते! राजनाथ सिंह ने संसद में बताया ये समाधान
ये उम्मीद इसलिए भी है क्योंकि दुनिया ने पहले भी सुरंगों के भीतर ऐसे रेस्क्यू मिशन देखे हैं, जब भीतर फंसे लोगों के जिंदा बच निकलने की कोई उम्मीद नहीं थी, मगर वो निकले और सही-सलामत बाहर निकले। चमोली की सुरंग में भी हमें वैसे ही चमत्कार की उम्मीद है जो हमने 2010 में चिली में देखी और 2016 में चीन में।
Drilling operation started by rescue teams to peep into the tunnel 12 meters below..@ndmaindia @PIB_India@ITBP_official @PIBHomeAffairs
pic.twitter.com/6V0xvJG48R— PIB in Uttarakhand (@PIBDehradun) February 11, 2021
69 दिन बाद निकाले गए थे 33 लोग
करीब साढ़े दस साल पहले की बात है। 5 अगस्त 2010 को चिली में कॉपर-सोने की एक खदान का एक हिस्सा अचानक टूटकर गिर गया। 33 लोग जमीन से करीब 700 मीटर नीचे फंसे गए। वो जहां फंसे थे, वो जगह खदान के मुहाने से लगभग 5 किलोमीटर दूर थी। उनके जिंदा बच निकलने की उम्मीद बड़ी कम थी। शुरू में खदान के मालिकों ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया मगर फिर सरकारी कंपनी ने ऑपरेशन शुरू किया। तलाश में बोरहोल्स किए गए। हादसे के 17 दिन एक नोट हाथ लगा जिसमें लिखा था, 'शेल्टर में हम ठीक हैं, सभी 33 लोग।'
दुनिया ने लाइव देखा था रेस्क्यू मिशन
वो इमर्जेंसी शेल्टर 50 वर्गमीटर एरिया में फैला था। उसमें दो लंबी बेंच पड़ी थीं लेकिन वेंटिलेशन की दिक्कत थी। इसलिए वे लोग एक सुरंग की तरफ चले गए। बहरहाल, नोट मिलने के बाद काम दोगुने उत्साह से शुरू हुआ मगर मुश्किलें बहुत थीं। ड्रिलिंग के लिए तीन टीमें थीं, चिली की पूरी सरकार सिर्फ इसी काम में जुटी थी। NASA से लेकर दुनियाभर की कई एजेंसियों ने सहयोग किया। पूरे रेस्क्यू मिशन का लाइव टेलिकास्ट हो रहा था और दुनिया सांस रोककर चमत्कार होते देख रही थी। 13 अक्टूबर 2010 को ड्रिलिंग टीम उनतक पहुंच गई। एक खास तरह के कैप्सूल में एक-एक करके उन्हें बाहर निकाला गया।
चीन में भी हुआ था 'चमत्कार'
25 दिसंबर 2016 को चीन में जिप्सम की एक खदान ढह गई थी। उसमें 29 कर्मचारी अलग-अलग गहराई पर फंस गए थे। अगले दिन 11 लोगों को बाहर निकाल लिया गया था जबकि एक को मृत घोषित कर दिया गया। बाकी लोगों के बारे में 30 दिसंबर को पहली बार पता लगा कि वे जीवित हैं। इसके बाद एक संकरे बोरहोल के जरिए उन्हें खाना, कपड़े और रोशनी पहुंचाई गई। लेकिन सुरंग बेहद अस्थिर थी और बार-बार चट्टानें गिरने से रेस्क्यू मुश्किल हो गया था। 36 दिन बाद, चार लोगों को एक रेस्क्यू कैप्सूल के जरिए सकुशल बाहर निकाला गया था। बाकी लोगों का पता नहीं चला।