भारत में कोरोना वायरस का प्रभाव काफी कम हो गया है। कोरोना से जिस तरह भारत लड़ा है उसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। भारत में वैक्सीनेशन का काम शुरु है। कोरोना के काल में भारत कई देशों को कोरोना के टीके दे रहा है। भारत में कई और टीकों पर रिसर्च अभी भी जारी है। वैक्सीन डिप्लोमेसी में भारत ने चीन को कही पीछे छोड़ दिया है। अब कोरोना वायरस से निपटने के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने व्यापक इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। WHO ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह वैक्सीन 65 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के लिए भी सुरक्षित है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दक्षिण अफ्रीका में इस टीके पर सवाल उठे थे। दक्षिण अफ्रीका ने अपने स्वास्थ्य कर्मियों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका देने पर रोक लगा दी है। आपको बता दें कि भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) करता है। विशेषज्ञों के पैनल ने कहा है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल उन देशों में भी किया जाना चाहिए जहां साउथ अफ्रीका के कोरोना वैरिएंट ने वैक्सीन के प्रभाव को कम किया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के स्ट्रैटेजिक अडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनिजेशन ने इस टीके को लेकर अपनी गाइडलाइंस जारी की है। इस गाइडलाइंस में कहा गया है कि इस लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को दो डोज में दिया जाना चाहिए।
दक्षिण अफ्रीका ने अपने स्वास्थ्य कर्मियों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका देने पर हाल ही में रोक लगा दी है। यह निर्णय एक नैदानिक परीक्षण के नतीजे आने के बाद लिया गया जिसमें पाया गया कि वैक्सीन कोरोना वायरस के नए स्वरूप से उपजी बीमारी पर प्रभावी नहीं है।