वाराणसी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर अभी शाम के 6.30 बजे हैं। हर दिन आयोजित होने वाली ‘गंगा आरती’ को देखने के लिए दसियों हज़ार लोग या तो घाट पर या नावों पर एकत्रित हुए हैं। व्यस्त नाविक अपने जहाज़ों को घाट के क़रीब रखने के लिए धक्का-मुक्की करते हैं – ताकि पर्यटक आरती देख सकें। उनमें से एक ने कहा, “इस शहर में अब कोई ऑफ़ सीज़न नहीं है, हम हर दिन व्यस्त रहते हैं।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र और हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थलों में से एक वाराणसी को अब बड़े पैमाने पर नया रूप-रंग मिल रहा है। निर्माण और नवीनीकरण का काम ज़ोरों पर है, क्योंकि शहर अगले महीने से शुरू होने वाले जी-20 कार्यक्रमों की एक श्रृंखला की मेजबानी करने के लिए तैयार है।
एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, “इस रूपांतरण के पीछे का विचार यह है कि हमारी प्राचीन संस्कृति को आधुनिकता के साथ एकीकृत करना है। इसलिए जी-20 बैठकें शहर की छवि के लिए एक बड़ा बढ़ावा होंगी।”
Logo of #G20 being illuminated at Sarnath Dhamekha Stupa in Varanasi, Uttar Pradesh.#G20India | #G20Summit | @g20org pic.twitter.com/sJWWc1GP00
— All India Radio News (@airnewsalerts) December 1, 2022
शुक्रवार को पीएम मोदी ने काशी के नाम से जाने जाते वाराणसी का दौरा किया। वाराणसी छावनी स्टेशन और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को जोड़ने वाले 3.75 किलोमीटर के यात्री रोपवे सहित कई विकासात्मक परियोजनाओं को 1,780 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ शुरू किया गया है।
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पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी की अर्थव्यवस्था में उछाल आया है, विशेष रूप से 339 करोड़ रुपये की नयी काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर परियोजना के निर्माण के साथ, जो प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर को घाटों से जोड़ती है, ताकि पर्यटकों की आवाजाही आसान हो सके। मंदिर और कई घाटों के साथ-साथ लोकप्रिय बौद्ध धार्मिक स्थल सारनाथ का भी कायाकल्प हो रहा है।
हिंदू धर्म की पीठ के रूप में विख्यात इस शहर में मिश्रित आबादी है। मुसलमान इस शहर की आबादी का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा हैं।
एक टैक्सी ड्राइवर ने इंडिया नैरेटिव को बताया, “हम सभी शांति से रहते हैं, विभिन्न समुदायों के लोग हैं लेकिन किसी के बीच कोई दुश्मनी नहीं है..ऐसे इलाक़े हैं, जहां दोनों समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं।” यह शहर मस्जिदों और चर्चों से भी अटा पड़ा है।
2021 में ज्ञानवापसी मस्जिद विवाद सुर्ख़ियों में रहा था। वाराणसी की अदालत ने अप्रैल, 2021 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को एक सर्वेक्षण करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा था। उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड और मस्जिद चलाने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने उस याचिका का विरोध किया था। वे कहते हैं,”कुछ मुद्दे रहे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने के साथ बहुत से लोग – न तो हिंदू और न ही मुसलमान इन मुद्दों में अब दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं..अर्थव्यवस्था ही हमारा धर्म है।”
पर्यटकों की आमद में लगातार इज़ाफ़ा हुआ है। 2015 में वाराणसी में लगभग 55 लाख पर्यटक आए। पिछले साल शहर ने 7 करोड़ से अधिक पर्यटकों- घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों को आकर्षित किया ।
पर्यटन में आयी इस उछाल ने स्थानीय समुदाय के आय के स्तर को बढ़ा दिया है। रात के बाज़ार, मुख्य रूप से खाने के स्थान अब खुल गए हैं, जो कि इस प्राचीन शहर को वैश्विक और अपमार्केट ब्रांडों और स्टोरों के साथ एक आधुनिक स्पर्श दे रहे हैं, जो अब सिटीस्केप को दान कर रहे हैं। सारनाथ के एक पर्यटक गाइड ने खुलासा किया, “मैं लगभग पांच से सात साल पहले एक दिन में लगभग 200 रुपये से 500 रुपये कमाता था। आज यह कमाई आसानी से 1,000 रुपये प्रति दिन की हो गयी है।”
Uttar Pradesh is the ONLY state to implement SIX different Mass Urban Transport Projects simultaneously:
🚊Metro ~ Kanpur & Agra
🚊MetroLite ~ Gorakhpur
🚊Rapid Rail ~ Meerut
🚊Ropeway ~ Varanasi & Ghaziabad
🚊Pod Taxi ~ Greater Noida
🚊High Speed Rail ~ Delhi to Varanasi pic.twitter.com/0IIUWEFdmU— The Uttar Pradesh Index (@theupindex) December 8, 2021
बुनकरों में से बड़ी संख्या में मुसलमान हैं, जो प्रसिद्ध बनारसी साड़ी बनाते हैं और ये भी बहुत ख़ुश हैं। उनमें से एक बताते हैं, “आज हमें अपनी बुनाई के लिए बेहतर क़ीमत मिलती है और इतने सारे पर्यटकों के साथ हमारे उत्पाद आसानी से बिक जाते हैं।
Godowlia Market At night#Travel #varanasi #viral pic.twitter.com/rwLz4dnqU0
— Traveller Kanak (@Travellerkanak) January 26, 2023