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Veer Savarkar Jayanti: जब जेल में वीर सावरकर ने पत्थर को कलम बनाकर दिवार पर लिख दी थी 6000 कविताएं

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आज भारतीय स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर की 138वीं जयंती है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के नासिक में एक चितपावन ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए सावरकर शुरुआत से ही क्रांतिकारी थे। नासिक के कलेक्टर की हत्या के आरोप में अंग्रेजों ने 1911 में सावरकर को काले पानी की सजा सुनाई थी। विनायक दामोदर सावरकर को ब्रिटिश सरकार में दो बार आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। उन्होंने पत्थर के टुकड़ों को कलम बना कर 6000 कविताएं दीवार पर लिख डालीं।

भारत की आजादी का पहला बड़ा आंदोलन 1857 में हुआ था। इस आंदोलन को भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के तौर पर दर्ज करने का श्रेय विनायक दामोदर सावरकर को जाता है। जिन्होंने 1909 में एक किताब लिखी, इसका नाम था 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस-1857'। इसी किताब ने 1857 की लड़ाई को भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम घोषित किया था। ये सावरकर का पहला ऐसा बड़ा काम था, जिसे स्वतंत्र भारत में स्वीकार्यता मिली थी।

वीर सावरकर जुलाई 1909 को मदन लाल डिंगड़ा ने विलियम कर्जन वायली को गोली मार दी। इसके बाद सावरकर ने लंदन टाइम्स में एक लेख लिखा था। 13 मई 1910 को उन्हें गिरफ्तार किया गया। 24 दिसंबर 1910 को उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी गई। 31 जनवरी 1911 को सावरकर को दोबारा आजीवन कारावास दिया गया। 7 अप्रैल 1911 को उन्हें काला पानी की सजा दी गई। सावरकर 4 जुलाई 1911 से 21 मई 1921 तक पोर्टब्लेयर जेल में रहे। अंडमान की जेल में रहते हुए पत्थर के टुकड़ों को कलम बना कर 6000 कविताएं दीवार पर लिखीं और उन्हें कंठस्थ किया। उसके बाद अंग्रेज शासकों ने उनकी याचिका पर विचार करते हुए उन्हें रिहा कर दिया।

वीर सावरकर एक वकील, राजनीतिज्ञ, कवि, लेखक और नाटककार थे। राजनीति में हिंदू राष्ट्रवाद की विचारधारा को विकसित करने में सावरकर का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। वो वीर सावरकर ही थे जिन्होंने पूरे विश्व में भारत की पहचान हिंदू के रूप में बनाने के लिए हिंदुत्व शब्द को गढ़ा था।

सावरकर के अनुसार देखिए क्या है हिंदुत्व की परिभाषा

सावरकर ने एक पुस्तक लिखी 'हिंदुत्व – हू इज़ हिंदू?' इस किताब में उन्होंने पहली बार राजनीतिक विचारधारा के तौर पर हुंदुत्व का इस्तेमाल किया था। पविष्ठ पत्रकार नीलांजन मुखोपाध्याय ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि सावरकर के हिसाब से भारत में रहने वाला व्यक्ति मूलतः हिंदू है और यही हिंदुत्व शब्दकी परिभाषा है। जिस व्यक्ति की पितृ भूमि, मातृभूमि और पुण्य भूमि भारत हो वही इस देश का नागरिक है। हालांकि यह देश किसी भी पितृ और मातृभूमि तो बन सकती है, लेकिन पुण्य भूमि नहीं।