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W. Bengal: चुनाव बाद हिंसा की जांच करने पहुंची NHRC की टीम पर हमला, ममता सरकार की बर्खास्तगी लिए काफी!

photo courtesy google

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव परिणाम (West Bengal Assembly Election) के बाद से लगातार हिंसा (Violence) की खबरें आ रही है। इस बीच कोलकाता हाईकोर्ट के आदेश के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) घटनाओं की जांच के लिए बंगाल पहुंची। लेकिन ये क्या… बंगाल के उपद्रवियों ने एनएचआरसी टीम पर ही हमला बोल दिया। बताया जा रहा है कि हिंसा की जांच के लिए एनएचआरसी की टीम  जांच के लिए जादवपुर गई थी, जहां कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया। यही नहीं, वहां बीजेपी कार्यकर्ताओं के 40 घर उजड़े हुए मिले।

मामले को लेकर एनएचआरसी के एक अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान उन्हें पता चला कि यहां 40 से ज्यादा घर तबाह हो गए है। हम पर गुंडों का हमला हो रहा है। वहींर, NHRC के सदस्य आतिफ रशीद के साथ भी बदसलूकी की गई। इसकी जानकारी आतिफ रशीद ने ट्वीट के जरिए दी। आतिफ रशीद ने बताया- 'मैं NHRC की जांच टीम के सदस्य के नाते जादवपुर में दंगा प्रभावित इलाके का दौरा करने गया था. वहां गुंडों द्वारा मेरे साथ अभद्र बर्ताव किया गया. मैंने वहां पर 40 से ज़्यादा घर टूटे हुए पाए और उनकी रिकॉर्डिंग की, जिसके बाद ये लोग खुल्लम-खुल्ला मुझे भी धमकी दे रहे थे. जब यह घटना मेरे साथ हुई, तब स्थानीय पुलिस चुप-चाप गायब हो गई, ताकि ये लोग खुल कर मेरे साथ बुरा सुलूक कर सके।'

इसके अलावा, आतिफ रशीद ने अपने एक और ट्वीट में एक वीडियो शेयर किया और लिखा- 'इस वीडियो को देखिये कैसे वेस्ट बंगाल के जादवपुर में दंगाई CISF के जवानों के साथ भी मारपीट कर रहे हैं। मुझ तक पहुंचने के लिए CISF के जवानों की मौजूदगी में इनकी इतनी हिम्मत है तो आम आदमी जिसका क़ुसूर सिर्फ इतना था की उसने अपनी मर्ज़ी से वोट किया तो उसका क्या हाल कर रखा होगा!'

आतिफ रशीद ने कहा, 'वेस्ट बंगाल के जादवपुर में दलित समाज के जले हुए टूटे हुए घरों की तस्वीरें इन घरों के लोग यहां से दो महीने से पलायन कर चुके हैं। गुनाह सिर्फ इतना था क‍ि अपनी मर्ज़ी से वोट देना। हम सच जानने गए तो हम पर भी हमला किया गया। यह लोग हमें मारने को चढ़ रहे हैं तो वह ग़रीब, दलित का क्या हाल किया होगा!' आपको बता दें कि आयोग के अध्यक्ष ने कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर यह समिति गठित की थी। कोर्ट ने चुनाव बाद हिंसा के दौरान हुए मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों की जांच के लिए इसका गठन किया था।