क्या पश्चिम बंगाल में हिंसा ममता बनर्जी के इशारे पर हो रही है? क्या ममता बनर्जी ने टीएमसी कार्यकर्ताओं को बीजेपी समर्थकों को सबक सिखाने का निर्देश दे दिया है? क्या पश्चिम बंगाल का पुलिस प्रशासन ममता बनर्जी के कहने पर दंगाई और हत्यारों के खिलाफतैयार रिपोर्ट राज्यपाल को नहीं सौंप रहे हैं और क्या ममता बनर्जी संविधान से इतर शासन को चला रही हैं? क्या ममता बनर्जी राज्यपाल नाम की संस्था अवहेलना केंद्र के समानांतर बंगाल में शासन की चला रही हैं?
सवाल इतने ही नहीं, इनसे भी ज्यादा गंभीर हैं। ये सारे सवाल राज्यपाल जगदीप धनखड़ की उस बातचीत के बाद उभरे हैं जो उन्होंने देश के एक बड़े अंग्रेजी अखबार के संपादक के साथ साझा की है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा है कि चुनाव परिणाम के बाद शुरू हुई हिंसा पर अफसरों से रिपोर्ट मांगी थी, मगर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के अधिकारियों को रिपोर्ट देने रोक दिया। हिंसा पर आधारित यह रिपोर्ट राज्यपाल को दी जानी थी लेकिन सीएम ममता बनर्जी के निर्देश पर गृह सचिव ने राज्य की कानून व्यवस्था की रिपोर्ट राज्यपाल को दी ही नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि डीजीपी और पुलिस कमिश्नर की रिपोर्ट भी आगे नहीं बढ़ाई गई।
राज्यपाल धनखड़ ने कहा कि बंगाल में 02मई को विधानसभा चुनाव परिणाम के आने के बाद से ही हत्या, लूटपाट और महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराध जारी है। ऐसे में राज्यपाल ने बताया कि उन्होंने राज्य के गृह सचिव, डीजीपी और कोलकाता पुलिस कमिश्नर को हिंसा की रिपोर्ट देने के लिए आदेशित किया। उन्होंने खुद भी कई बार मुख्यमंत्री से बात की लेकिन मुख्यमंत्री ने किसी भी प्रकार का कोई एक्शन नहीं लिया।
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने इससे भी बड़ा खुलासा यह किया है कि उन्हें ये सारी बातें खुद पश्चिम बंगाल के गृह सचिव ने बताई हैं। गृह सचिव ने बताया डीजीपी और पुलिस कमिश्नर की कानून व्यवस्था पर दी गई रिपोर्ट भी राज्यपाल को न देने का निर्देश दिया गया था। राज्यपाल ने बताया कि 03मई को चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के बाद ममता बनर्जी के पास मुख्यमंत्री की सभी शक्तियाँ थीं।
ध्यान रहे, कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के व्यवहार और केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन के काफिले पर हमले के बाद केंद्र सरकार ने 4 लोगों की एक जांच टीम भेजी है। यह टीम राज्य की कानून-व्यवस्था का जायजा लेकर सीधे केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी।