'पश्चिम बंगाल में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और ममता बनर्जी सरकरा में तनाव चरम पर है। चुनाव जीतने के बाद टीएमसी सत्ता के मद में चूर है। टीएमसी प्रवक्ता ने सारी मर्यादाएं लांघते हुए राज्यपाल को बूढ़ा और लाचार तक बोल दिया है।'
नेशनल ट्राईबल कमीशन की रिपोर्ट के बाद पश्चिम बंगाल के गवर्नर जगदीप धनखड़ और अधिक सक्रिए हो गए हैं। राज्यपाल ने सीएम ममता बनर्जी को संबैधानिक शक्तियां उपयोग करने की चेतावनी दी है तो वहीं टीएमसी के राज्य प्रवक्ता कुणाल घोष ने सारी मर्यादाएं तोड़ते हुए राज्यपाल को बूढ़ा और निराश बोला है। टीएमसी के इस तरह के बयान से प.बंगाल में तनाव चरम पर पहुंच रहा है।
राज्यपाल धनखड़ ने सारे प्रोटोकॉल तोड़ते हुए हिंसा प्रभावित क्षेत्रों लोगों का हाल-चाल जानने के लिए बाइक और ई रिक्शा का भी उपयोग किया। इसके अलावा पर कई किलोमीटर पैदल भी चले। उन्होंने गलियों और लोगों के टूटे और जलाए गए घरों का जायजा भी लिया।
राज्यपाल धनखड़ तृणमूल के सत्ता में आने के बाद से ‘हिंसा प्रभावित इलाकों’ का दौरा कर रहे । सीतलकुची की यात्रा, चुनावी समय की हिंसा से प्रभावित थी, जहां केंद्रीय बलों की गोलीबारी में कुछ लोग मारे गए थे।इसके बाद धनखड़ ने असम में अस्थायी शिविरों का दौरा किया, जहां पश्चिम बंगाल के ‘राजनीतिक हिंसा के पीड़ितों’ को आश्रय दिया गया है।
राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सभी पीड़ितों को पुनर्वास, मुआवजा और शांति व्यवस्था बनाने की दिशा में कदम उठाएं। साथ ही आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। उधर, ममता बनर्जी ने राज्यपाल के दौरे को असंवैधानिक करार दिया है।
राज्यपाल ने कहा था कि उन्हें राज्य के हिंसा प्रभावी इलाकों को दौरा करना है। वह हेलिकॉप्टर मांग रहे हैं लेकिन उन्हें ममता सरकार हेलिकॉप्टर नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें हेलिकॉप्टर नहीं मिल रहा है, फिर भी वह प्रभावित इलाकों को दौरा करेंगे।'
धनखड़ ने आश्चर्य व्यक्त कि क्या मुख्यमंत्री ने चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा से प्रभावित और पूर्व मेदिनीपुर के नंदीग्राम इलाके के शरणार्थी शिविरों में रह रही महिलाओं और बच्चों का क्रंदन सुना है। उन्होंने हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाकात की जिन्होंने केंदेमारी, बंकिम मोड़, चिलाग्राम, नंदीग्राम बाजार और टाउन क्लब इलाकों में शरण ली है।
राज्यपाल ने कहा, ‘हमें पश्चिम बंगाल के हालात को देखकर दुख होता है। भारत ने ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी थी। राज्य एक तरह से ज्वालामुखी पर बैठा है।’ शिविरों में रहने वाले लोगों ने दावा किया कि वे दो मई को चुनाव नतीजे आने के बाद नंदीग्राम स्थित अपने घरों से भागने को मजबूर हुए। उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के गुंडों ने उनके घरों में लूटपाट की। राज्यपाल ने कहा, ‘मुख्यमंत्री को लोगों का दर्द समझना चाहिए। उन्हें यहां और अन्य स्थानों पर चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा पर ध्यान देना चाहिए।’